जाने वाले क्या जाने जो छूटा उसपर क्या बीती होगी ,
मर मर के भी उसकी सांसे बिन चाहे कैसे जीती होगी
उसके वादे ने उसको कमजोर किया खामोश किया ,
आंखे नही रूह भी उसकी घुट घुट के आसू पीती होंगी ।-
जो गलत पर भी चुप्पी साधे रहते है
बिन चाहे मन मस्तिष्क को बांधे रहते है ,
विकराल प्रलय के भागी होंगे ,
जो सच से भागे भागे रहते है,
जो अडिग रहे सच पर
मिथ्या मूल्यों को ठुकराकर,
सच के राहों में सब खोकर ,
माना वो बड़े अभागे रहते है
ईश्वर से मिलने वाली नैतिक हकदारी में
लेकिन वो सबसे आगे रहते है-
ढलते सूरज से है सीखा एक दिन हर रिश्ते को ढलना है ,
मत बांधो खुद को माया की जंजीरों से जब काम तुम्हारा चलना है ,
ढलने से पहले यकीन बन छा जाओ,
घने बादल को पार करो, आसमा को पा जाओ
जो जग से न पाया होगा वो काम तुम्ही को करना है ,
ढलते सूरज से है सीखा ..................।
जो संघर्षों से ऊब गया
मानो उसका सूरज डूब गया,
जो टकराने से डर जाए
गम , प्यार मुहब्बत के चक्कर में पड़ जाए
चुल्लू भर पानी ले और उसमे डूब के मर जाए,
आजमाओ खुद को, आजमाने से न तुमको डरना है ,
भरे हुए हो तरुनाई से कर लो जो कुछ तुमको करना है ,
क्योंकि ,
ढलते सूरज से हमने सीखा है ...........
ढलता सूरज तो उग आएगा
दसों दिशाओं में वो छाएगा
कोई नही उसके तेज का
ये दुनिया को बतलाएगा
लेकिन एक काली रात आइ तो
फिर तू न वापस आ पाएगा ,
ढलता सूरज तो उग आएगा
कोई साथ नही देगा जो रात काली आयेगी
होंगे बड़ी उम्मीदें वो सब खाली की खाली जाएंगी ,
इससे पहले तू कर ले कुछ,
अब खाली हाथ नहीं मलना है,
क्यों की,
ढलते सूरज से हमने है सीखा,,,,,,,,,,,,,,,,।-
क्या ही हक बेवजह का जताए ,
जो हमारे थे ही नहीं, उन्हे क्या हम बताए,
जानता वो भी है की उसने सताया बहुत है
बस एक दुआ है खुदा, तू कभी न उसको सताए ❤️-
अब तक तो तन्त्री मंत्री को मरा होना चाहिए
बरताव थोड़ा तो सत्ता तेरा कड़ा होना चाहिए
जब तेरा कोई अपना जायेगा तब हम कहेंगे
उत्सव नही भारत में महोत्सव होना चाहिए
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यू हम दम तोड़ेंगे पता नही था
किसी अपने से कुछ कहा नहीं था
थोड़ा बड़े हुए तो इतना सहे है हम
पहले कभी मौत में उतना सहा नही था
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जिंदगी की साजिशे बड़ी अजीब है
इसकी सारी ख्वाहिशें बड़ी गरीब है
मिले तो अपने है अब यहां
वरना खुदा के पास भी रकीब है
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की जिससे प्रेम कर बैठू, मैं उसको खो ही देता हूं
हादसे कितने तमाम हुए , सोचके रो ही देता हु
ये उजले सवेरे नई आश में भगाते है मुझको
करो जरा मुक्कमल अंधेरा अब मैं सो ही लेता हु-
काफी तन्हा नजर आते है हम
खुद को ही बेखबर पाते है हम
बहुत उड़ा ली ये इश्क की पतंगे ,
रख मांझा अब सुधर जाते है हम
_ बाजपई जी-
तू चला गया तब भी तवज्जो तुझे हमेशा देता हु
और इश्क विश्क नहीं होगा हमसे ये भरोसा देता हु
और खबर जो लगी, की है किसी को मोहब्बत मुझसे
मिलवाऊंगा तुझसे कह देना की मैं धोखा देता हु
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