मुसाफ़िर   (Ankit)
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Joined 26 March 2019


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Joined 26 March 2019
1 FEB 2021 AT 16:51

पापा आज आप जहाँ भी हो
शायद यहाँ से तो खुश होंगे
यूँ ही तो नही छोड़ जाते आप हमें
शायद ईश्वर को भी आप चाहिए होंगे

हमें देख लेते हों शायद ऊपर से कभी
कुछ ख़्वाब हमारे लिए भी तो बुने होंगे
पूरा करने की कोशिश जब करते हम उन्हें
तो शायद खुशी के आंसू छलकते तो होंगे

आपने आदर्शों पर चलने की जो सीख दी थी
गर कहीं डगमगाये पैर तो गुस्सा भी करते होंगे
जब समझ न आता मुझे जिंदगी का रास्ता कोई
अपनी मसखरी बातों से सपनों में रास्ता बतलाते होंगे

करती जब दुनिया तारीफ आपके बच्चों की
अपनी परवरिश पर गुमान कर मुस्कुराते तो होंगे
घेरने जब आते है मुश्किलों के साये हमें
उनसे लड़ने की हिम्मत भी तो देते होंगे
Ankit
पापा बस यही उम्मीद है आप जहाँ भी हो
बस खुश होंगे सुकून से होंगे


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28 JAN 2021 AT 23:23

राहें बदल गयी है वक्त बदल गया है
सोच बदल गयी है ठिकाना बदल गया है
जिसे पूजा था अपना आदर्श समझ कर
आज वक्त आने पर वो इंसान बदल गया है

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5 JAN 2021 AT 21:51

कल बाजार में कहीं अकेला सा रह गया
वक्त के हालातों को देखता सा रह गया
आवाजें टकराती थी कानों में बहुत
एक बेबस आवाज को सुनता मैं रह गया

अनजानों की भीड़ में वो चिल्लाता रह गया
लोग बड़े खानदानी थे वो अनाथ सा रह गया
खरीदते लोग बाजार में शानो शौक़त की चीजें।
वो मजलूम पढ़े लिखों को किताब बेचता रह गया

थोड़ा अपंग सा था वो पर खुद्दार बड़ा था
बिखरी किस्मत पर बड़े शान से खड़ा था
देखो दुनिया वालों ऐसे भी लोग है यहाँ
तुम रोते हो थोड़े नाकाम होने पर
उसे देखो जो लाचारी पर भी मुस्कुराता चला गया

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1 DEC 2020 AT 15:56

सन्नाटों को अक्सर सुन लेता हूँ मैं
दिल की कलम से रूह पर लिख लेता हूँ मैं
अनकही सी बातें जो रह जाती है जहन मैं
खुद से करके बाते खुद ही मुस्कुरा लेता हूँ मैं

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30 NOV 2020 AT 23:50

इक तरफा होना भी क्या सही है
उनसे कह देना दिल की बात क्या सही है
मायने बदल जाते हैं जब अपनी गरज के
तो उनकी चाह को जुनून बनाना क्या सही है

करते हैं जिसकी इबादत इश्क़ ए खुदा समझ
उसे ही अपना इश्क़ समझाना क्या सही है

जिसके लिए न रहा वक्त का पता न शानो शौक़त का
उसके लिए रूह भी बेलिबास कर देना क्या सही है

ताउम्र के लिए जिसके हो चुके है हम
उसे हर पल इश्क़ का हिसाब देना क्या सही है

क्या तेरी ये बेरुखी सही है
या मेरा तुझ बिन अधूरापन सही है

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15 JUL 2020 AT 23:01

मैंने तुम्हे एक पैगाम लिखा है
कुछ वक्त निकाल कर सलाम लिखा है
मिला तो कभी नहीं राखी के रिश्तों से
शायद तुम्हारी वजह से ही जिंदगी को
मेरे बहन का नाम मिला है

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9 JUL 2020 AT 9:59

जला कर खुद को खाक बनाने का जुनून है
ताउम्र जो पा न सके वो मुकाम पाने का जुनून है
जीते जी जिन्हें कह न पाए हाल ए दिल अपना
एक दिन बन कर हवा उन्हें छू जाने का सुकून है

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6 JUL 2020 AT 13:31

आत्मा त्वं गिरिजा मतिः सहचराः प्राणाः शरीरं गृहं।

पूजा ते विषयोपभोगरचना निद्रा समाधिस्थितिः॥

संचारः पदयोः प्रदक्षिणविधिः स्तोत्राणि सर्वा गिरो।

यद्यत्कर्म करोमि तत्तदखिलं शम्भो तवाराधनम्‌॥


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5 JUL 2020 AT 22:48

Ankit

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4 JUL 2020 AT 15:35

स्याही का लिखा मिटता नहीं
कोशिश करूँ तो दाग पड़ने लगते है
कलम औऱ जज्बात अब बदल लिए है मैने

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