क्यूँ देश विरोधी नारों मे ,तू खुद का अपमान करे!
वो तेरे ही बेटे हैं जो, सीमा पर हर रोज मरे!
किसकी है औकात यहाँ ,जो पूरी तेरी मांग करे
है देश तू ही , सरकार तू हीं, तू है जो सबका पेट भरे!
इन सत्ता के गलियारों मे, कुछ भूखे प्यासे बैठे हैं!
जो तेरे लाठी मार रहे, वो खुद तेरे ही बेटे है!
तू है जो सब कुछ देता है, फिर देने वाला मांगे क्यूँ!
है लखन तू ही माता रक्षक, फिर लक्ष्मणरेखा लांघे क्यूँ!
तुं शांतिप्रिय, तु सरलहृदय, क्यों घावों पर आघात करे!
पीड़ा होती है ईश्वर को, यदि धरा पे धरतीपुत्र मरे!
करनी है गर कुछ मांग तुझे , तो ईश्वर तेरे साथ सदा
भारत तो खुद ही घायल है , ये घाव भरे हैं यदा कदा!
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