हर साल उम्र के धागे में एक गिरह पड़ जाती है, तमाम साल फिर ख़ुद को सुलझाने में गुज़र जाता है.. आज का दिन आपके बधाई संदेशों और शुभकामनाओं से सराबोर हुआ... आपका दिल से शुक्रिया... तमाम मसरूफ़ियत के बावजूद इतना वक़्त निकालने लिए... आप सब आत्मीय जनों की मंगलकामनाएँ महादेव के पावन मास सावन की हरियाली की तरह दिल को हरा-हरा कर गयीं। इतनी दुआएँ, स्नेह और आशीर्वाद पाकर अनुग्रहित हूँ।
बहुत-बहुत शुक्रिया.. हृदय से धन्यवाद..! यही कोशिश है... यही प्रभु से प्रार्थना है कि ज़िंदगी जितनी गिरहें उम्र के धागे में लगाए, मैं उतनी सुलझता चला जाऊँ.. मेरे कारण किसी का दिल ना दुखे..!
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