इतनी सूफियाना हो चुका है किरदार मेरा,
गर कोई पत्थर भी मिल जाए, इबादत कर लेता हूँ,
हर दफा सोचता हूं, उसे कोई बद्दुआ दे दूं,
पर जब जब उसे देखता हूं, फिर मुहब्बत कर लेता हूँ!-
🏔️pahadi
🖊️Poet
🥰Lover
🧑🏫Teacher
🔱Mahakal ka deewana
💔बिरहा का शायर
💂Ex NCC c... read more
इक अरसे से जिंदगी मशरूफ है, मलबा हटाते हटाते,
मेरे इश्क़ की इक बड़ी ईमारत जमींदोज हो गई।-
तेरे होने पर भी हालत नहीं सुधरेंगे मेरे,
तेरा ना होना कुछ इस कदर तोड़ गया है मुझे...-
इक अरसे तक चल रही थी तन्हाई की शीतलहर,
और फिर तुम आई, माघ की सुनहरी धूप जैसी..-
इक नया अंदाज़ ज़माने को सिखाने निकला है,
वो मेरे अंधेरों को अंधेरे से मिटाने निकला है।-
तुम जाओ कहीं और जगाओ ये उजाले के चश्म ओ चराग़,
मुझमें पैबस्त अंधेरे का अंदाजा लगाना मुश्किल है।-
जारी है हर एक दफा मेरा तुझे भूल जाना,
और जारी है हर दफा तेरा बदस्तूर याद आना।-
बस इसी बात से मेरी दीवाली रौशन है यारों,
कि मेरे जलाए दीए बस्ती में आग नहीं लगाते।-
मंज़ूर है इंतज़ार तेरा क़यामत के बाद तक,
उस मकाम तक ले आई है आरज़ू तेरी।-
तुम्हारे खयालों से तो रोज का राब्ता है हमारा,
मगर इस दफा गर तुम आते तो अच्छा लगता ।-