Mukund Sharma   (Mukund Sharma#47)
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Joined 10 August 2021


Joined 10 August 2021
29 APR AT 13:51

दिल के बोझ को उड़ेलना शुरू कर।
घाव भर गए तो कुरेदना शुरू कर।।

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17 FEB AT 6:43

तुम्ही जियो ये शकून की जिंदगी साहव।।
हमने ख़ुदा से संघर्ष खुशी से मांगा था।।

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14 FEB AT 22:13

मैं वही अभिमन्यु हूं, जिसे उस युग के महान गुरुओं, राजकुमारों और कर्ण जैसे वीरों ने मुझे छल से घेर कर मारा था, अगर मैं छला न जाता तो, महादेव की सौगंध उसी दिन महाभारत का निर्णय घोषित कर देता...

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8 FEB AT 11:52

विध्वंश की पताका से कई साम्राज्य ध्वस्त कर सकता हूं।
पराक्रम की अग्नि से कई पुरंदर नष्ट कर सकता हूं।।
न्याय के सिंहासन से मृत्यु दण्ड देने को जी चाहता है।
फिर से इस भुमि पर एक और युद्ध लड़ने को जी चाहता है।।

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29 JAN AT 21:53

प्रसिद्धि चाहिए तो कृष्ण के जैसा सारथी विश्व में छाँटना पड़ता है।।
अगर अर्जुन चाहिए तो किसी एकलव्य का अंगूठा काटना पड़ता है।।

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19 DEC 2023 AT 12:34

मिले कृष्ण से लाखों इस ज़माने में मुझे
न जानें क्यों! अर्जुन सा किरदार कहीं ढूंढ न पाया।।

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21 OCT 2023 AT 17:34

जिसकी हुंकार काल के सिंहासन को भी कंपित कर दे, जिसका क्रोध बैरागी शिव को भी भय देने वाला है,जिसके संकल्प से विष्णु भी निंद्रा पाते है। जिसके सम्मुख ब्रह्मा और तैतीस कोटि देव भी जिसकी शक्ति में संरक्षण पाकर आनंदित है, उस महान् आदि शक्ति महागौरी जगदंबा🔱 की शरण का मैं वरण करता हुं।।

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6 OCT 2023 AT 21:18

शब्दों से मर जाते हैं लोग लाठी के प्रहार से नहीं।।
चहरे बदल लेते है लोग,जरूरत नकाब की नहीं।।
ये कहावत मुझ पर ठीक नहीं बैठ सकती साहब।।
तुम मुझे गोली से मार सकते हो दिमाग़ से तो नही।

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4 OCT 2023 AT 20:05

मनुष्य उतनी ही धार्मिक बातों का सहारा लेता है, जितनी उसके मन के अनुरुप हो व जिनको वह अपनी दिनचर्या में संतुलित नहीं कर पाता है।
अन्य सभी क्रियाएं समाज पर थोप देता है।।

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1 OCT 2023 AT 10:05

आती थी बात जब चरित्र की न जानें क्यों पाता था मैं मोन लोगों को अक्सर, उस समय मेरे भीतर की हँसी मुझको अंगीकार कर लिया करती थी...

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