Mahobbat ke khwaab na dikha khuda
Hum to kisi ke kareebi tak nhi ....
Or jhut ki dukaan me laga raha grahako ka aana jaana
Apne paas to koi kahani bhi farebi tak nhi...-
तेरे मुरझाने पर दिन ढले ,, तेरे खिलने पर सवेरा हो ।।
ये जो तेरी जुल्फें है ,, इनमें शामों का बसेरा हो ,,
दो ही नूर है जीने पाने की चाहत है मुझे ।।
एक नूर खुदा का हो,, और एक नूर तेरा हो।।
चिरागों की चाहत क्यो ना करे वो शख्स। ।।
जिसकी जिन्दगी मे ,, बस अंधेरा हो ,,
Insta - Mukul3282-
अब सुनता नहीं हूं कुछ भी मैं ,, तुम तेज पुकारो किसी तरह
जालिम ने हंसकर देख लिया ,, मुझे जमीन पर उतारो किसी तरह
दारु बीयर जो कहोगे वो ही मैं दिलवा दूंगा
कोई उसके घर का पता कहीं से ,, ला दो यारों किसी तरह
उसके ख्याल तो यारों मुझे यकीनन पागल कर देंगे
सलामती मेरी चाहो तो ,, उससे मिलवादो यारो किसी तरह
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ना जाने वापस वो शख्स कब आएगा
उसे मेरी हालत पर तरस कब आएगा
फिर मिलेंगे कहकर रुखसत हुआ था वो
फिर मिलने का वो बरस कब आयेगा
उसकी हिचकीयो तक की वजह समझ लेता था मैं
मेरा इश्क उसे समझ कब आएगा
हिज्र की रातों में नजरों से जो बातें होती है
वो नजरे लेकर वो मेरी तरफ कब आएगा-
तेरी आवाज में ये लड़खड़ाहट कैसी है
सच बताओ झूठ की ये आहट कैसी है
जहां हर्फ दर हर्फ मै अपना नाम लिखा करता था
तेरी कमर पर ये किसी और की लिखावट कैसी है
और बाहर जो मंडप लगा है वो तुम्हारा है क्या
गले मे ये गहनो की सजावट कैसी है-
मेरा दिन ,, तुम्हारे एक मैसेज तलक से बन जाता है ,,
सोचो तुम मिल गई होती ,, तो जिंदगी कितनी खुशनुमा होती ।।
मैं आंखें खोलता चहरा तुम्हारा दिखता ,, वो हर एक सुबह भी क्या सुबह होती ।।
और मेरे दिल की बात जो तुम तक पहुंचनी थी ,, पहुंच जाती ,,
मेरे दिल के हक में अगर मेरी जुबां होती ।।
और कुछ नई दुआएं भी मांगता हूं तो क्या मांगता हूं मैं,,
काश कबूल मेरी वो पुरानी दुआ होती ।।-
एक महक मुझे कुछ यू आई ,,
दरवाजे पर थी तू आई ।।
इश्क किताबों से था मुझको ,,
तु इनकी सोतन बनके क्युं आई ।।
इम्तिहान मै पार करूं कैसे ,,
अब पढ़ाई के बीच में तू आई ।।
रह गया इस साल तो मैं फिर ,,
मेरी कौन करेगा सुनवाई ।।
खयालों से तू बाहर आ ,,
मुझे पढ़ने दे ना हरजाई ।।
इश्क किताबों से था मुझको ,,
इनकी सौतन बनकर क्यूं आई ।।-
लोग कहते है वो इस्तेमाल करती है , मै कहता हुं मुझे इस्तेमाल होना है ,,
लोग कहते है वो नीन्दे हराम करती है , मै कहता हु तो मुझे भी कहा सोना है ।।
खुदा तुझसे बहुत कुछ मांगती है वो ,, सब कुछ देना उसे ,,
उसकी कई मुरादों में ,, मुझे भी उसकी एक मुराद होना है ।।-
हम मर्ज ए मोहब्बत की दवाई चाहते हैं ,,
तेरे इश्क की गिरफ्तारी से रिहाई चाहते हैं ।।
और हमे यु,, रकीब के नाम से डराना छोड दो तुम ,,
यकीन मानो सनम ,, हम खुद तुम्हारी बेवफाई चाहते हैं ।।
बेखौफ होकर नज़दीकियां बड़ा सको तुम गैर से ,,
इसीलिए सनम हम तुम्हारी और हमारी जुदाई चाहते हैं ।।
और मोहब्बत मैं अगर तुमने हिसाब मांग ही लिया है,, तो ध्यान से सुनो ,,
तुम पर खर्च की गई,, हम भी अपनी कमाई चाहते हैं ।।
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बाइक पर आगे मैं ,पीछे तुम, फिर ठंड से कपकपी ,, कुछ याद आया कापते हाथो मैं चाय का कप फिर एक-एक चुस्की,, कुछ याद आया
तुम्हारी यादे तो इस चाय के स्वाद में घुल आई है
तुम बताओ ,, तुम्हें मै याद आया-