भुलाने की कोशिश जरूर करना
मगरूर होने का सिला तुम्है भी मिलेगा एक दिन
उम्रभर साथ निभाना, कभी कभी रुलाने कि कोशिश जरूर करना-
तोड भी लो कितने भी रिश्ते नाते किसी से
मनाने के दौर भी चलतै रहना चाहिये
हार से डर से कभी जिये ही नही
ये डर का दौर चलते रहना चाहिये
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मंजिल पर पहूचकर मुडकर ना देखा
बडा महशूर हो गया तू
मिलकर भी अंजान बना फिरता है
बडा मजबूर हो गया तू-
एक तेरी कामयाबी ही तो आस है मेरी
चाहै मै गुनाहगार बन जाउ मै
तू जीये बिना किसी तकलिफ के
तेरे लिये कर्जदार बन जाउ मै-
रूठने मनाने का दौर तो चलता रहेगा उम्र भर
अब उससे घबराना और डर कैसा
हस्तिया मिट गई है उनकी भी जो मने ही नही
अब कहते है ए जिंदगी तेरा मंजर कैसा-
तुम कभी रूठ जाओ तो मनाने का एक मौका हमे भी देना,
नाराजगी विचार से है तो मना लेंगे,और जिस्म से है तो हमे भी भुला देना-
बेपरवाह नही हू मै किसी बात से
,एक बार मुझसे दिल लगा के देख लो,
दर्द की आह भी नीकल जाये दिल से तो बताना,
एक बार वो जख्म देकर भी देख लो-
ऐसी भी क्या दरियादीली की
आदमी की इज्जत दो कौडी कि रह जाये-
दैखता ही रह गया और किस्मस तैरी बिगडती चली गई
ना समझ था ना जाने कब दरियादिली सिमटती चली गई
तकदीर से भी आगै निकलने की चाहत मे
जिंदगी यू ही तडपती चली गई-
कोई एक मुनासिफ दोस्त हो मेरा
मै जिधर भी गिरू मुहब्बत मै
होठो पे बस तेरा नाम आये
आपणो मालवा-