उसने कहा कुछ शोर हुआ, मैं नहीं जानता ? मेरे साथ बैठा था जो, अब बोर हुआ , मैं नहीं जानता?? और मुझे तो शौक़ है उजालों में चमकने का , भले ही अंधेरा घनघोर हुआ, मैं नहीं जानता???
फेसबुक, इंस्ट्राग्राम की चढ़ रही सीढ़ी। ऐसी हो गई है आज की युवा पीढ़ी।।
आज की युवा पीढ़ी कुछ सुस्त हो गई है।और इसमें सोशल मीडिया का भी योगदान है। आज की युवा पीढ़ी पूरी तरह सफल तो है , किंतु इनके जीवन का मतलब पूर्ण नहीं है। स्वामी विवेकानंद जी के अनुसार, युवाओं का जीवन सफल होने के साथ साथ सार्थक भी होना चाहिए । तभी उनके जीवन का मतलब पूर्ण होगा। साथ ही युवाओं में एक सकारात्मक सोच और उद्देश्य का भाव पनपना चाहिए। एक निश्चित उद्देश्य की भावना जागृत हो और उद्देश्य की पूर्ति हेतु अपना सर्वस्व अर्पण करने की क्षमता युवाओं में होना चाहिए।
मंज़िल हो चाहे कितना भी कठिन, रास्ते हों चाहे कितना भी जटिल, हम सरपे कफ़न बांधकर, डटे रहेगें सीना तानकर। हम खुद को आज आजमाएंगे!! गिरते,पड़ते ही सही ,, हम शिखर तक पहुंच ही जायेंगे।।
वो ज़माने के सब फसाने हम छोड़ आए, ज़हन में जो थे तेरे हुस्न के, दीवाने छोड़ आए, जब से एहसास हुआ घर के दायित्वों का, हम तेरे वो इश्क वाले घराने छोड़ आए ।।