Mukesh Solanki "मन"  
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आप का स्वागत हैं
यहाँ तक आ ही गये हो तो like और comment भी कर दीजिए
Joined 25 September 2018


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2 FEB 2022 AT 10:31

लोग वादों से मुकर जाते हैं
आप इरादों की बात करते हो

यहां हक़ीक़त बदल जाती हैं
आप ख़्वाबों की बात करते हो

यहां जरूरतें पूरी नही होती
आप हसरतों की बात करते हो

मत करना यकीन दोस्त
इस दुनिया की बातों पर

यहां चाहतें बदल जाती हैं ,
और आप मन्नतों की बात करते हो— % &

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2 FEB 2022 AT 2:25

लोगों से दूर जाओ तो
वो संभलने लगते हैं

उनके पास जाओ तो
वो बदलने लगते हैं

उनसे सच कहो तो
उन्हें खलने लगते हैं

अपनी खुशी बाटो तो
वो जलने लगते हैं

अब आप ही बताओ
करें तो क्या करें

अपना दर्द सुनाओ तो
लोग निकलने लगते हैं— % &

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1 FEB 2022 AT 11:16

जो आपके साथ नही चलना चाहते
उन्हें आपके पीछे , रख सकती है

आप में कोई खूबी हो या ना हो पर
आपकी कमियां , ढ़क सकती है

यकीन करो साहब , ये दौलत
बहुत कमाल की चीज़ होती है

ये सिर्फ़ आपकी जिंदगी नही
आपकी दुनिया , बदल सकती है— % &

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28 JUL 2021 AT 17:06

ना शबाब लिखूगा ,ना जवाब लिखूगा
मेरे हक़ की एक बोतल शराब लिखूगा
आओगे तो पी ले ना कुछ गम के घूंट
उसके बाद ग़ज़ल की एक किताब लिखूगा

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26 JUL 2021 AT 18:11

वतन की सौंधी मिट्टी पर हम ये जान दे देंगे
देश की आन को दे आँच हम उसकी जान ले लेंगे

वीरो से सजी इस धरती पर हर वीर अपना है
स्वर्ग से सुन्दर इस धरती पर वो कश्मीर अपना है

पावन-पूज्य घाट सरिताओं के ईश्वर को हर्षाते है
प्रेमपूर्ण सरगम लताओ के हर चर को लुभाते है

यात्रा यहाँ चार धाम की, वेदो का विधान है
पवित्रता यहाँ “गीता” के नाम की मेरा भारत महान है

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26 JUL 2021 AT 17:59

प्रथम श्वास जो भूमि दे वो मातृभूमि कहलाए
प्रथम माता ही ये बने इसलिए मातृभूमि कहलाए

प्राणों से भी बढ़कर जो, वो प्राण मातृभूमि का हो
हर रण से बढकर जो, वो रण रणभूमि का हो

देश-विदेश में बढ़ेगे कदम
पर निकलेंगे मातृभूमि पर दम

गाथाओ की अगर बात हो, हर लाल-बाल का साथ मिले
कुर्बानी की अगर बात हो, हर माता का ही प्राण मिले

मरकर भी जो अमर बने, वो शहीद कहलाए
स्वर्ण अक्षरों में नाम जिनके, वो भारत के रत्न कहलाए

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26 JUL 2021 AT 15:48

नज़दीकियाँ बढ़ी , तो संभलना मुश्किल है
तेरा अब दिल से निकलना मुश्किल है
ना जाने कहाँ से निकल आये हैं इतने काटें
मेरा अपनो के बीच में टहलना मुश्किल है

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25 JUL 2021 AT 18:50

ख़्वाबों के मकान में साथ हुआ करते थे हम
पहले कितने ख़ास हआ करते थे हम

तब भी तुझ पर बारिश बन कर बरसे हैं
जब सेहरा की प्यास हुआ करते थे हम

तूने हाथ लगाकर ग़ज़ल किया हम को
वरना बस एहसास हुआ करते थे हम

तुझको कोई देखे कहाँ गवारा था
इस दर्जा खुदगर्ज हुआ करते थे हम

हमसे ही थी खुशबू सारे कमरे में
फूलों का एक वास हुआ करते थे हम

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25 JUL 2021 AT 14:35

Entire कोरा काग़ज़ team Thanks for Recognizing me🙏🙏🙏🙏

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25 JUL 2021 AT 9:39

कुछ रिश्तों में अब अदावत हो जाये तो बेहतर है
मेरे अंदर इक बगावत हो जाये तो बेहतर है
एक उम्र बीती है प्यार मोहब्बत के किस्से सुनते
ये कहानी अब कहावत हो जाये तो बेहतर है

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