आफिस वाला प्यार.
एक कोने में सीट मेरी ,एक कोने में सीट तेरी ,
चुपचुपके देखु तुझको,ऐसे तू देखे ओर मेरी,
न कभी मुस्काना,न कभी इशारे,
यहां तुझको आते जाते देख ,हम परेसान बेचारे,
हिम्मत न मेरी ,न हिम्मत तेरी ,
देखे तू मेरी आँखों मे ,झाँकु में भी ओर तेरी ,
जब जब तू उठ के जाए ,कुर्सी भी मेरी सिर फिराए,
अनजाने में ताके तुझको ,देखे तू भी मुह फुलाए ,
आंखों में इजहार भरा ,शुरुआत कौन करे।
हुआ है कुछ तो दोनों में,इकरार ये कौन करें
..अधूरी कहानी।।
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