अजीब होते हैं
ये अलग-अलग से स्माइलीज भी
तभी तो, मेरे लिखे पर जब-जब तुम,
चिपकाती हो गुलाबी दिल !
मेरे हृदय रक्त वाहिनियों के अन्दर
थमे-चिपके हुए सारे के सारे कोलेस्ट्रॉल
तेज सिहरन के साथ बह निकलते हैं
हाँ डॉक्टर ने भी कहा था हंसते हुए -
बेशक हजारों दुख हो इस दुनिया में पर,
फेसबुक/इंस्टा/ट्विटर पर चस्पा किया
दिल भी गहरा गुलाबीपन भरता है ।-
कविता संग्रह: हमिंग बर्ड, ... है न !
लप्रेक: लाल फ्रॉक वाली लड़की
संपादन: कारवां
स... read more
चूल्हे की ताप को कम करता है
जब लाडला पीठ पर चिपक कर
लाड़ से कह उठता है - अम्मा !-
गर ईश्वर ने पूछा
कि क्या चाहते हो
तो कह दूंगा -
कुछ करो ऐसा भगवन
ताकि दुःख को भी
गरिमा से धारण कर पाऊं !-
सुनो
तुम्हारी स्थितिज उर्जा
मुझमे गति प्रदान करती है
बस उम्मीद रखूँगा
ये आकर्षण बना रहे
...ठीक न !
ये खिंचाव का बल भी
क्या न करवाए !-
अंततः
थक कर बेचारा चाँद भी
आया हमारी कश्ती में
कह रहा तुम चलाओ चप्पू
मैं खो जाऊं तुम्हारे बस्ती में ... !-
संज्ञा-सर्वनाम
की विशेषता
बताने वाले शब्द हैं विशेषण
'पिता'
ऐसी ही चाहत भरी नजर से
ताकता है संतान को।
कि संतान से याद किया जाए पिता को-
जाना उस दिन
छुई-मुई के गुलाबी फूल सी हो
चमचम करती तुम
मेरे स्पर्श भर से
सिमट गई थी, उसके पत्तियों सी
सुन रही हो न, मेरी छुई-मुई।-
इनदिनों सपनों में
गांव के घर वाले दरवाजे
बराबर चर्र से खुलते हैं
और तो और खिड़कियों के पल्ले भी
छमक कर बुलाते हैं
इनदिनों गांव-ओसरा-डगर-पोखर
सब के सब कह रहे
आया करो न
इनदिनों सपनों को जीना प्यारा लगता है
इनदिनों शायद, शहर की खिड़की में
हवाएं गांव से ही आ रही होगी
... है न!-