साँसें ज़िंदा रखतीं हैं मार-मार कर
इनकी सज़ा तो बस कज़ा होगी-
काँटों भरी राह को जमाल समझता हूँ
खून सने धूल को गुलाल समझता हूँ
मैं हारे हुए ख़ुद को कमाल समझता हूँ-
मुख़्तसर सी खुशियाँ, कद्दावर से ग़म
ज़रा सा लब मुस्काए फ़िर निगाहें नम-
पाँव भला क्या जाने, क्या साँझ हुई क्या भोर ?
हाय! पथिक के मन उठे, अगम्य लहर-सी शोर-
पाँव भला क्या जाने क्या साँझ हुई क्या भोर ?
हाय! पथिक के मन उठे अगम्य लहर-सी शोर-
पाँव भला क्या जाने क्या साँझ हुई क्या भोर ?
हाय! पथिक के मन उठे अगम्य लहर-सी शोर-
आँखों से नादान, दिल में है शैतान
किसकी नीयत साफ़, कौन नहीं बेईमान
सबने डाले मुखौटे, कैसे हो पहचान
जाल बिछा दो सारे, खाली है मैदान
बेकसूर छुप जाएँ, शासक है हैवान
क्रूरता राज करेगी, हुआ यही एलान
लो कौड़ी के भाव, बिक रहा ईमान
जीना हुआ है मुश्किल, मरना जाना आसान
पशु हुए शर्मिंदा, पशु हुआ इंसान
बुरे वक्त में "अचेतन", हर कोई अनजान-
अपनाने से लोग डरें, वो सोच ना बनूँ
लाश भले बन जाऊँ, ज़िंदा बोझ ना बनूँ
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बेशक! मेरी राह में रुकावटें होंगी बेशुमार
मग़र मेरे शागिर्द, तेरा रास्ता आसान होगा-