Mukesh Kumar Ojha   ("अचेतन" मुकेश)
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the_hollow_mind
Joined 20 January 2020


the_hollow_mind
Joined 20 January 2020
14 NOV 2022 AT 20:19

साँसें ज़िंदा रखतीं हैं मार-मार कर
इनकी सज़ा तो बस कज़ा होगी

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13 NOV 2022 AT 9:30

काँटों भरी राह को जमाल समझता हूँ
खून सने धूल को गुलाल समझता हूँ
मैं हारे हुए ख़ुद को कमाल समझता हूँ

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3 NOV 2022 AT 21:41

वो जो अपनी औक़ात जानते हैं
बा- ख़ुदा वो हर बात जानते है

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12 OCT 2022 AT 22:48

मुख़्तसर सी खुशियाँ, कद्दावर से ग़म
ज़रा सा लब मुस्काए फ़िर निगाहें नम

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25 SEP 2022 AT 21:48

पाँव भला क्या जाने, क्या साँझ हुई क्या भोर ?
हाय! पथिक के मन उठे, अगम्य लहर-सी शोर

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25 SEP 2022 AT 19:23

पाँव भला क्या जाने क्या साँझ हुई क्या भोर ?
हाय! पथिक के मन उठे अगम्य लहर-सी शोर

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25 SEP 2022 AT 19:21

पाँव भला क्या जाने क्या साँझ हुई क्या भोर ?
हाय! पथिक के मन उठे अगम्य लहर-सी शोर

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8 SEP 2022 AT 16:47

आँखों से नादान, दिल में है शैतान
किसकी नीयत साफ़, कौन नहीं बेईमान

सबने डाले मुखौटे, कैसे हो पहचान
जाल बिछा दो सारे, खाली है मैदान

बेकसूर छुप जाएँ, शासक है हैवान
क्रूरता राज करेगी, हुआ यही एलान

लो कौड़ी के भाव, बिक रहा ईमान
जीना हुआ है मुश्किल, मरना जाना आसान

पशु हुए शर्मिंदा, पशु हुआ इंसान
बुरे वक्त में "अचेतन", हर कोई अनजान

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4 SEP 2022 AT 9:06

अपनाने से लोग डरें, वो सोच ना बनूँ
लाश भले बन जाऊँ, ज़िंदा बोझ ना बनूँ

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27 AUG 2022 AT 13:30

बेशक! मेरी राह में रुकावटें होंगी बेशुमार
मग़र मेरे शागिर्द, तेरा रास्ता आसान होगा

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