15 MAR 2019 AT 22:24

कवि की कल्पना
कवि की कल्पना देखिये
"करेंगे दारू पार्टी"
शायद कवि रेगिस्तान में है और पानी के कमी से जूझ रहा है.

"चार बोतल वोडका, काम मेरा रोज का "
शायद कवि ने बेरोजगारी से परेशान हो कर बोतल चुनने का काम शुरू कर दिया है.

"भंगिया पिलाओ बम जी, गांजा पिलाओ बम जी "
शायद कवि बोतल चुन चुन कर बोर हो गया है, थोड़ा माइंड फ्रेश करना चाहता है.....

- ©मुकेश कुमार महापात्र