Mukesh Kumar   (Kumar)
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I always try to convey meaning in a few words.
Joined 22 January 2018


I always try to convey meaning in a few words.
Joined 22 January 2018
22 APR AT 17:04

जिंदगी कुछ अजीब सी लगने लगी है,
ये दौर का असर है या उम्र की भूल बनी है?

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20 APR AT 23:26

अपनों से प्यार की अभिलाषा खोती गई,
जब-जब जीने की चाह हुई, निराशा होती गई।

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20 APR AT 22:53

कायनात देखों आ रही हिसाब लेने
शायद पिछले कुछ अभी के कर्मों का जवाब क्यामत से देने

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9 FEB AT 22:43

अब चॉकलेट आ गई
बनावटी मुखडों के पीछे
हैवानियत को जगा गई

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8 FEB AT 23:18

इसे जी लेना काफी है

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7 FEB AT 21:46

एक पहचान पाने की खातिर,
जो था गंवा बैठे, वो भी…
ये दुनिया निकली बड़ी शातिर।

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6 FEB AT 22:27

ख़ुद नजर से गिर पड़ा
शर्मिंदगी में डुब सोचने लगा
अंधा गुंगा तू बधिर बड़ा

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4 FEB AT 21:33

ये बढ़ती दखलंदाजी
अपनी ही सोच
अपनी ही राजी

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2 FEB AT 13:21

ठीक वैसे ही जैसे ज्यादा बोलना

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1 FEB AT 20:17

some people say
‘Rest Assured!’
I always hear it as ‘Rest in Peace.

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