Mukesh Khedkar   ("मुकेश खेड़कर")
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Joined 15 February 2020


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Joined 15 February 2020
3 MAR AT 13:18

तुम मुझे ढुँढोगी और मैं मिल ना पाऊंगा,
मै दरिया के किनारे बसे बस्ती का अंधेरा हूं।

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25 JAN AT 9:35

कुछ तो बरकत है मेरे घर में,
जो एक चिडीयाँ ने यहां घोसला बनाया है।

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20 JAN AT 23:36

बहुत कुछ खो रहा हूं धीरे धीरे ,
लग रहा है तुम आने वाले हो।

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15 JAN AT 16:11

dil Kaagaz ka tu ek panchhi ambar saara haay!"

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7 JAN AT 17:30

तुम मुझे इतनी प्यारी लगती हो
जैसे एक नदी और पहाड़ के बीच,
इक़ डुबता हुआ सूररज!

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19 SEP 2023 AT 22:09

तुम इस आयनें में,
ये वक्त़ बदल गया, वो हालात बदल गये
पर ख्याल नही बदले तुम्हारे उसको ले कर

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17 SEP 2023 AT 23:53

गाँव छोड़ आया
आज पता चला जीवन का असली
सूंकुन मेरा अपना गाँव था,
शहर में रह कर कितना भी कमा लो
तुम धन धौलत वो गाँव वाला सुकुन
तुम अब कभी खरीद नही पाओगे।

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1 AUG 2023 AT 0:15

दिल अगर टूटा तो जुड जायेगा,
हौसला जो टूटा तो कहां जायेगा।

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18 DEC 2022 AT 12:47

कुछ ख्वाहींशों का अधूरा होना,
जैसे इंसान अंदर से मर जाना है

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11 DEC 2022 AT 1:30

जो दुनिया से नहीं खुद से लड़ सकूं,

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