Mukesh Joshi   (Mukesh Joshi)
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A Writer
Joined 31 May 2017


A Writer
Joined 31 May 2017
4 FEB 2021 AT 15:45

गर तोहफ़े में वक़्त दूँ ,
चलेगा क्या !

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28 DEC 2020 AT 9:47

कल इस तरह से रात काटी हमने ..
" दिल जला कर आग तापी हमने ! "

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28 APR 2020 AT 21:58


मुस्कुराहट रख दी थी क्या
तुमने क़िताबों में ?
" ढूँढो ज़रा, अब वो नज़र नहीं आती ! "

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24 MAR 2020 AT 21:28

गुससुम क्यों हो जानेमन ?
कोई शेर कहो !
चुप-चुप क्यों है पागल मन ?
कोई शेर कहो !!

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9 NOV 2019 AT 12:04

जब ना हम जीते, ना तुम हारे हो !
जब ये देश हम सबके सहारे हो !
इमामे हिन्द 'राम' तो सबके हैं ।
हम भी तुम्हारे हैं, तुम भी हमारे हो ।

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20 SEP 2019 AT 16:48

चाय के बिना बाक़ी सब कुछ फ़िज़ूल है !
चाय मिले अगर तो जहन्नुम कुबूल है !!

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17 SEP 2019 AT 19:31

मशवरा मत दो जाने जाँ ...
मेरा वक़्त खराब है, दिमाग नहीं !

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15 SEP 2019 AT 20:07

सब रिश्तों को खुश करते-करते..
हम खुद के सौतेले बन बैठे हैं !

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12 SEP 2019 AT 21:38

कुछ कहने को बेताब है ..
खामोशी खुद में एक किताब है !

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11 SEP 2019 AT 21:18

ये खाली बोतलें ..
तो एक दोस्त की हैं !
तुम्हें तो पता है ना
मैं शराब नहीं पीता !

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