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हमने इश्क अलमारी
पर रख दिया...♦️
📍Rajasthan ~ Chandi... read more
लोहे का ढलना,
सोने का ढलना,
मिट्टी का ढलना,
ढले बिना आकार मुमकिन नहीं...
ढले बिना आराम मुमकिन नहीं...
और हां, दिन भी तो ढलता है,
और खूबसूरत रात बन जाता है,
फिर रात ढलती है,
और शानदार दिन बन जाता है...
तो देख,
कभी ज्यादा कुछ अलग - अलग नहीं है यहां,
बस ढलना ही चलना है यहां..." सुरेश ने निशा को ताकते हुए कहा।-
दिल की दावत पर जज्बात आए है,
खाने को हमें जज्बात आए है,
बिन बुलाए कौन आता है,
बिन बुलाए आए है तो,
लगता होके बर्बाद आए है,
डरते थे कल तक जां खोने से,
वो भी होकर आज आजाद आए है,
अपनी कमाई सोच ही बची जेब आने चार,
लो फिर करने नई शुरुआत आए है,
जहां को जहीन बहुत उम्र कह लिए, हटो,
अब बेवकूफो के सरताज आए है....
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***
सब जानती है,
खून के आंसू सहेगी,
कमजोरी मोम की तरह है,
इस्तेमाल होकर रहेगी।
***
अंदर से कोई भगाता है
या फिर चमक से बहक जाता है
पतंगा खुद जाता है,
कोई नहीं बुलाता है,
और
जल जाता है।
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शहर में घर है,
घरों में एक घर है,
घर मे कमरे है,
कमरों में एक कमरा है,
अब इससे आगे ना कोई जा पाया है,
ना कोई जान पाया है,
वहां जहन जहान है,
और दीवार खुद से दीदार है,
वहाँ कुछ खिलौने है,
वहां कुछ खोए कौने है,
वहां कपड़े लटते है किवाड़ों के पीछे,
और..
वहां एक शख्स रोज आकर
लिबाज बदल लेता है,
जैसे जज्बात बदल लेता है,
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पेड़ भी हवा से खुद को बर्बाद कर लेते है,
पत्तियों से खुद को आजाद कर लेते है,
सूरत बिगड़ जाती है,
पेड़ उन्हें अपना नहीं मानता,
बिजिलिया गिरती है,
हालात, यूं हालात पे हालात कर देते है,-
खुद से खफा कहो,
एक सजा कहो,
आदत, लत, बेबस नशा कहो,
दया के जरिए कुछ पाना.... एक बिखारी की मनोदशा कहो,,,,,-