جس دن سمجھ آئےگا دوکا کیا ہے وفا کیا ہے، اس دن سمجھوگے میرا درد، مجھکو ہوا کیا ہے۔ जिस दिन समझ आएगा धोका क्या है वफ़ा क्या है, उस दिन समझोगे मेरा दर्द, मुझको हुआ क्या है।।
دل آزاری کر نہیں سیکھا میں نے خوشیاں منانا، وہ اگر آ بھی جائیں تو میں لہجہ نرم رکھتا ہوں۔ दिल आजा़री कर नहीं सीखा मैंने खु़शियां मनाना, वो अगर आ भी जाएं तो मैं लहजा नर्म रखता हूं ।।
उसको तारीफ की ख़्वाहिश थी सो हमने पूरी कर दी, हमनें गिनाई खा़मियाँ बाक़ी और बातें अधूरी कर दी। उसने कहा भला कोई शा़यर ऐसे भी मुह़ब्बत दिखाता है, मैंने कहा ज़माने में कौन सच्ची मुह़ब्बत हज़म कर पाता है।।