मैं शून्य पे सवार हूं ||
मैं शून्य पे सवार हूं ||
बेअदब सा मैं खुमार हूं ,
अब मुश्किलों से क्या डरूं ,
मैं खुद कहर हज़ार हूं |
मैं शून्य पे सवार हूं ||
के ऊंच-नीच से परे ,
मजाल हु आंख में भरे ,
मैं लड़ पड़ा हूं रात से ,
मशाल हाथ में लिए |
न सूर्य मेरे साथ है ,
तो क्या नहीं यह बात है ,
वह शाम को था ढल गया ,
वह रात से था डर गया ,
मैं जुगनुओं का यार हूं |
मैं शून्य पे सवार हूं ||- Muja_i_am
2 FEB 2019 AT 21:40