مُحَمَّد عطا ٱلله   (محمد ؀طا)
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Joined 6 August 2018


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logon ko lagata hai ki ham akele chalakar bikhar jaenge,
unhen kya khabar,
ke manzil kee raah par,
qabr, maqaam-e-urooj aur roz-e-mahashar par,
insaan akela hee rahata hai.

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بے روکھی میں بھی اپنی

دلچسپی دیھانا اچھا

نہیں ہوتا

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"जाने वालों ने ये सिखाया था कि
आने वाले भी जाने वाले हैं "

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एक उलझा हुआ क़िरदार हु मैं,
हर बार लोगो ने कहां समझदार हो तुम,
मैने कहां ,खुद की तलाश में खोया हुआ हूं,
ये कैसा तलबगार हु मैं।

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जिन्हें तुम्हें संभालना नहीं आया
उनके हाथों से तुम छूट गए तो अच्छा है

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And do you remember that the Iblees had said that I will come from the front as well as from the back, from the right as well as from the left… this is the trick of the Iblees, not to let us offer Namaz.

और आपको याद है कि इब्लीस ने कहा था कि मैं आगे से भी आऊंगा, पीछे से भी आऊंगा, दाएं से भी आऊंगा, बाएं से भी आऊंगा...
ये इब्लीस की चाल है, हमें नमाज़ न पढ़ने देना।

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चिश्ती ने जिस ज़मीं में पैग़ाम-ए-हक़ सुनाया
नानक ने जिस चमन में वहदत का गीत गाया
तातारियों ने जिस को अपना वतन बनाया
जिस ने हिजाज़ियों से दश्त-ए-अरब छुड़ाया
मेरा वतन वही है मेरा वतन वही है
यूनानियों को जिस ने हैरान कर दिया था
सारे जहाँ को जिस ने इल्म ओ हुनर दिया था
मिट्टी को जिस की हक़ ने ज़र का असर दिया था
तुर्कों का जिस ने दामन हीरों से भर दिया था
मेरा वतन वही है मेरा वतन वही है
टूटे थे जो सितारे फ़ारस के आसमाँ से
फिर ताब दे के जिस ने चमकाए कहकशाँ से
वहदत की लय सुनी थी दुनिया ने जिस मकाँ से
मीर-ए-अरब को आई ठंडी हवा जहाँ से
मेरा वतन वही है मेरा वतन वही है
बंदे कलीम जिस के पर्बत जहाँ के सीना
नूह-ए-नबी का आ कर ठहरा जहाँ सफ़ीना
रिफ़अत है जिस ज़मीं की बाम-ए-फ़लक का ज़ीना
जन्नत की ज़िंदगी है जिस की फ़ज़ा में जीना
मेरा वतन वही है मेरा वतन वही है

#Allama Iqbal

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मारे जाएँगे
[जो इस अंधभक्ति में शामिल नहीं होंगे
मारे जाएँगे
क़ैदख़ानो में डाल दिये जाएँगे, जो विरोध में बोलेंगे
जो सच-सच बोलेंगे, मारे जाएँगे
बर्दाश्‍त नहीं किया जाएगा कि किसी की आगाज़ हो
'उनकी' आगाज़ से ज़्यादा सच्चा हैं
आगाज़ पर जिनके दाग़ नहीं होंगे, मारे जाएँगे
धकेल दिए जाएंगे आगाज़ की दुनिया से बाहर, जो उनके मुखबिर नहीं
जो गुन नहीं गाएंगे, मारे जाएँगे
अंधभक्ति की ध्‍वजा उठाए जो नहीं जाएँगे उनके जुलूस में
गोलियां भून डालेंगी उन्हें, उनके घरों को गिरा दिए जाएंगे
देश द्रोह करार कर दिये जाएँगे ]
सबसे बड़ा अपराध है इस समय
निहत्थे और निरपराधी होना
जो अपराधी नहीं होंगे
मारे जाएँगे।-

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ऐ चाँद यहाँ ना निकला कर
बे-नाम से सपने देखा कर
यहाँ उल्टी गंगा बहती है
इस देस मैं अँधे हकीम हैं
ना डरता है, ना नदीम है
ना लोगों के वो खादिम हैं
है यहाँ पे कारोबार बोहत
क्या देस मैं गुरदे बिकता हूं
कुछ लोग हैं आली शान बोहत
और कुछ का मकसद रोटी है
वो कहते हैं सब अच्छा है
मगरिब का राज ही सच्चा है
ये देस हैं अँधे लोगो का
ऐ चाँद यहाँ ना निकला कर !

- हबीब जालिब

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