MUEEN AHMED  
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کمرے مے سگرٹ کا دھا۔ اور اسمے کمبخت تیری یہ مہک -

Instagram: Rihan_ahmed963
Joined 8 December 2018


کمرے مے سگرٹ کا دھا۔ اور اسمے کمبخت تیری یہ مہک -

Instagram: Rihan_ahmed963
Joined 8 December 2018
24 JAN 2022 AT 20:32

बात लहज़े में करे,और मुतमाइन भी करे
एक ऐसा अंधेरा हो जो रोशनी भी करे।

एक अज़ादार जो, बात कुन फया कुन की करे,
मेरे लहज़े में बोलता हो मगर बात मुझसी भी करे।

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16 OCT 2021 AT 23:21

पहले मुंतज़िर-ए-पहर नही हुआ करता था।
में सफर में खुद हमसफर नही हुआ करता था।

उस वक्त भी सुनता था इन बेज़ार आवाज़ों को,
इन आवाजों में शोर इस क़दर नहीं हुआ करता था।

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12 OCT 2021 AT 19:22

जिस तरह धूप में कही हवा न लगे।
रूह निकल जाए और किसी को पता न लगे।

बेज़ार जिस्म है कोई इलाज तो ढूंढों ज़रा,
एक ऐसा इलाज जिसमे न दवा लगे न दुआ लगे।

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1 AUG 2021 AT 21:02

सुकून के बदले सुकून चाहने लगे है।
मेरी हयात के मसले दरमियानी आने लगे है।

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25 APR 2021 AT 22:29

आंखो मे हर रंग फीका लग रहा है।
यह जहां मुझको धीमा लग रहा है।

मेरी मांगी दुआए कुबूल ना हो तो क्या,
मुझको मदीना अब करीब लग रहा है।

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19 APR 2021 AT 10:31

बे मकां हुए नए मकां की खातिर।

छोड़ आए सब अनजान शहर की खातिर।

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7 APR 2021 AT 23:50

खिज़ा से सितारो का दर्द सहा नही जाता।
जिस तरह हमेशा जाने वाला लौट कर नहीं आता।

वक्त के साथ रंग का सफेद हो जाना लाज़िम है।
वक्त के साथ हर मारा हुआ मारा नही जाता।

कुछ फूल डाली पर मुरझाए बैठे है इस तरह।
कुछ फूलो का सहारा शजर से सहा नही जाता।

तेरी आगोश में होने की तवक्को भी क्या करे अब।
तेरी आगोश का साया भुलाया नही जाता।

यह हिज्र वो है जो पत्थर से खुशबू निकाल लेता है 'मुईन' ।
यह हिज्र वो है जिससे पत्थर पिघलाया नही जाता।

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25 FEB 2021 AT 22:34

रूह जा चुकी थी शाम आने तक।
मे चीखता रहा था जान जाने तक।

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11 JAN 2021 AT 17:03

छुपना है तो नज़र ना आ मुझे,
मेरी मान आकर गले लगा मुझे.

मे उल्फ़त मे हूँ तुझसे फ़ासले बढा सकु,
यू पास आकर ना अब सता मुझे.

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2 JAN 2021 AT 23:29

परिन्दे चुप है,ना वहा गुज़रता है कोई.

टूटा मकान है या वहा रहता है कोई .

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