Mudit Sharma   (मुदित)
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Joined 5 April 2019


Joined 5 April 2019
1 MAY 2022 AT 21:51

कुछ रंग रोशनी के चुरा लिए मैंने
सितारों से ख़्याल सजा लिए मैंने।
कुछ ख्वाहिशों से बनी जमीन पर
हसरतों के मकान बना लिए मैंने।
दिल हारे हो तो कर्ज़ ये हम पर है
कुछ वायदे खुद से कर लिए मैंने।
तुम्हारी पलकों पर रखे वो ख़्वाब
आंखों में अपनी बसा लिए मैंने।

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28 APR 2022 AT 10:57

यह ग्रहण वक़्त का हटने दो
सूरज थोड़ा और चढ़ने दो।
जो यह इंतज़ार है शामों का
उसे खुश्बू बनके महकने दो।
एक लहर से हम तुम भीगे हैं
थोड़ा और समंदर उमड़ने दो।
जो बना इश्क़ अब ज़हनों में
उसे धीमी आंच पर पकने दो।

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26 APR 2022 AT 9:19

आग तो बस कहने को ही बुझ जाती है
ये बुझती ही कहाँ फिर सुलग जाती है।
राख की ओट में छुपे हुए हैं अंगारे बहुत
हवा के झोंके से फिर से दहक जाती है।

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24 APR 2022 AT 12:00


कभी आये उदासी चेहरे पर
तो उससे ज्यादा हंसा पाना।
आंखों से जब मन छू ले तो
मोम की तरह पिघल जाना।
चाह उसे जब उड़ने भर की
तो उसको पंख लगा पाना।
गंगा सी पावन बहती और
शिव सा धारण कर जाना।

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9 APR 2022 AT 22:37

अगर ढूंढोगे कांटे तो कहाँ फूल मिलेंगे
नुक़्स ही देखोगे तो खुदा में भी मिलेंगे।
ख़ता किससे हुई है क्यों हुई कैसे हुई है
इन सवालों के जवाब कहीं नहीं मिलेंगे।
सही गलत के आगे एक खाली जगह है
तुम पहुँचो वहां तक हम वहीं पर मिलेंगे।

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8 APR 2022 AT 22:41

कहीं दूर ठंडी छांव है
कहीं पास एक दरख़्त है।
कहीं मंज़िलों की चाह है
कहीं रास्तों से इश्क़ है।

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7 APR 2022 AT 22:00

यूँ तो किताबें बहुत करती हैं बातें
बातें ज़ेहन में उतरें तो बात बने।
भली हैं दिलों की निगाहों की बातें
बातें रूहों में उतरें तो बात बने।

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6 APR 2022 AT 19:36

'शम्स' की शाम मेरे नाम रहने दो
ज़हन में रुमी का खुमार रहने दो।
अभी तो दवा लेने का जी नहीं है
अभी तो चढ़ा ये बुखार रहने दो।

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5 APR 2022 AT 22:58

हर अंदाज़ को जांचा परखेंगे
हर बात पर उंगली उठाएंगे।
जो जवाब नहीं दे पाते हैं वो
फिर ख़ामोश ही हो जाएंगे।

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4 APR 2022 AT 17:23

क्यों वक़्त गवाया जाए परखने में
क्यों न वक़्त लगाया जाए समझने में।

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