कुछ रंग रोशनी के चुरा लिए मैंने सितारों से ख़्याल सजा लिए मैंने। कुछ ख्वाहिशों से बनी जमीन पर हसरतों के मकान बना लिए मैंने। दिल हारे हो तो कर्ज़ ये हम पर है कुछ वायदे खुद से कर लिए मैंने। तुम्हारी पलकों पर रखे वो ख़्वाब आंखों में अपनी बसा लिए मैंने।
यह ग्रहण वक़्त का हटने दो सूरज थोड़ा और चढ़ने दो। जो यह इंतज़ार है शामों का उसे खुश्बू बनके महकने दो। एक लहर से हम तुम भीगे हैं थोड़ा और समंदर उमड़ने दो। जो बना इश्क़ अब ज़हनों में उसे धीमी आंच पर पकने दो।
कभी आये उदासी चेहरे पर तो उससे ज्यादा हंसा पाना। आंखों से जब मन छू ले तो मोम की तरह पिघल जाना। चाह उसे जब उड़ने भर की तो उसको पंख लगा पाना। गंगा सी पावन बहती और शिव सा धारण कर जाना।
अगर ढूंढोगे कांटे तो कहाँ फूल मिलेंगे नुक़्स ही देखोगे तो खुदा में भी मिलेंगे। ख़ता किससे हुई है क्यों हुई कैसे हुई है इन सवालों के जवाब कहीं नहीं मिलेंगे। सही गलत के आगे एक खाली जगह है तुम पहुँचो वहां तक हम वहीं पर मिलेंगे।