बेवजह झगड़ती है वो लड़की
पर जान छिड़कती है वो लड़की
औरों का जिक्र मजाल है कर लूं
हर बात पकड़ती है वो लड़की
गुलाब भी फीका सा लगता है
जब सूट लाल पहनती है वो लडकी
आसमान में सिर्फ सितारे हैं
मुझे चांद सी लगती है वो लड़की
उसे हसाना मुझे अच्छा लगता है
और मुझे पागल समझती है वो लड़की
उसे किसी चीज की फिक्र नहीं है
बस मुझे खोने से डरती वो लड़की
मेरी ख्वाहिश आखिरी है वो लड़की
मेरी जिंदगी है वो लड़की।
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दरिया ले जाएगा कुछ ना कुछ
या फिर बच जाएगा कुछ ना कुछ
तस्वीर काट दो या कुछ भी करो
वो याद तो आएगा कुछ ना कुछ
मैने बहोत खामोशी से चीखा है
सबर दे जाएगा कुछ ना कुछ
वो बेटी थी तेरी भी बेटी होगी
वक्त बताएगा कुछ ना कुछ
अल्लाह हू अकबर,अल्लाह हू अकबर
वो रास्ता दिखाएगा कुछ ना कुछ
उसे लगता है उसकी बात से मुझे
समझ आएगा कुछ ना कुछ
गरीब को रोटी देकर दुआ ली है
'वसीम' भी पाएगा कुछ ना कुछ|-
कोई किसी का नहीं होता मर जाने के बाद
गवारा भी ले आते हैं दफनाने के बाद
वो पंछियों पर बहुत जुल्म करता था
बहुत रोया उनके उड़ जाने के बाद
ये उसकी यादों का सबब है वसीम
हम रो पड़ते हैं मुस्कुराने के बाद
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मेरे ख्वाबों को हकीकत क्यों नही करते
दोस्ती करते हो मोहब्बत क्यों नही करते
एक दरवाजा जहा तुम जलील हो रहे हो,
तुम मेरे घर में शिरकत क्यों नही करते,
तुम परेशान हो रुको उपाय बताता हूं,
तुम मां बाप की खिदमत क्यों नही करते,
बस मुझको हस्ता देखकर मेरे मां बाप,
कुछ और की हसरत क्यों नही करते
क्या खुशी है के बीवी है और मां नही,
तुम ऐसी जीत पर लानत क्यों नही करते।-
क्या बताऊं के क्या दो मुझे
उम्रभर रोने की दुआ दो मुझे
जब सिर्फ सांसे ही लेनी है तो,
इससे बेहतर दफना दो मुझे
तुम कहते हो बदल गया हूं मैं,
चलो पहले जैसा बना दो मुझे
कश्ती से ये जिन्दगी कहती है,
बहोत हुआ अब डुबा दो मुझे,
जीने में बहोत घुटन है वसीम
किसी फंदे से लटका दो मुझे।-
के इक इंसान इतना ज़रूरी बन गया,
ज़िन्दगी में आया और ज़िन्दगी बन गया,
मैने हर पन्ने पर फिर उसको ही लिखा,
कोइ मेरे लफ्जो कि वो शायरी बन गया,
और यूं रोशन किया उसने दिल को मेरे,
जैसे काली रात में कोई रोशनी बन गया,
उसके बदले हर दौलत फीकी लगने लगे,
कैसे कोई शक्स इतना कीमती बन गया,
बेशुमार ग़म हो दिल में मगर फिर भी,
उसे सोचकर मुस्कुराना लाज़मी बन गया,
उसके बाद किसी चीज़ की तम्मन्ना ना की,
"वसीम"की वो ख्वाहिश आखिरी बन गया।
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तुम किसी और से बात भी किया करो तो मुझे देखकर,
तुम्हारी नज़रे किसी और से मिले, मुझे अच्छा नहीं लगता।-
घुलकर इन हवाओं में वो कुछ यूं साथ रहती है
हम दूर है तो क्या हुआ तेरी खुशबू साथ रहती|-