काश ये मोहब्बत भी तलाक की तरह होती…
तेरे है… तेरे है… तेरे है… कह कर हम तेरे हो जाते…-
बड़ी मुश्किल में हूँ कैसे इज़हार करूँ,
तुम तो खुशबू हो तुम्हें कैसे गिरफ्तार करूँ...
तुम्हारी मोहब्बत पर मेरा हक़ नहीं लेकिन,
दिल करता है आखिरी साँस तक तुमसे प्यार करूं...-
लब से लब कौ इस तरह लगाए रखना
कि एक दूजे का हमें भरपूर स्वाद आए...
फिर तन को तन से ऐसे जकड़े रहना
ये रूह भी जिस्मों सी परस्पर ठाठ पाए...-
तेरी सांसों की गर्मी से
मेरी सांसें महकती है...
जब तुम आती हो करीब
हलचल सी दिल में मचती हैं...-
एक ऐसी महक है तेरे एहसास में,
कोई खुशबू भी लगा लूँ तो तेरी खुशबू आती है…-
छोड़ो ना ये सफेद बालों की फ़िक्र...
कोई तो होगा,
जो सिर्फ तुम पर मरता होगा...
छोड़ो ना बढ़ते हुए वज़न की फ़िक्र...
कोई तो होगा,
जो सिर्फ तुम्हारे खूबसूरत दिल पे मरता होगा...
छोड़ो ना ये गालों पे आने वाली सिलवटों की फ़िक्र...
कोई तो होगा,
जो सिर्फ तुम्हारी प्यारी सी मुस्कान पे मरता होगा...
छोड़ो ना तुम वही करो, जिससे तुम्हारे दिल को खुशी मिले...
क्योंकि, कोई तो होगा,
जो सिर्फ तुम्हारे खुश होने पे मरता होगा...-
हर लम्हा सिर्फ एक तेरा एहसास हो...
तेरे साथ हर दिन हर रात हो...
मैं चलू तेरा साया बनके संग तेरे...
मेरे हर सफ़र में बस एक तेरा साथ हो...-
तेरे संग गुज़ारा हर लम्हा खुशनुमा-सा लगता है...
तेरे बगैर ज़िंदगी का हर लम्हा अब बेगाना-सा लगता है...-
कुछ हसरतें और भी बढ़ जाती है तुझे देखकर,
ज़िंदगी फिर जीने को मन करता है तुझे देखकर,
तेरे बगैर हम तो मायूस हो चले थे,
इक ख़्वाहिश फिर जगी तुझे देखकर...
समां धुँधला गया था समय के आगोश में,
फिर सब झिलमिल हो उठी तुझे देखकर,
खोकर भी पा लिया मैंने तेरी चाहत को,
वो सब मुनासिब हुआ तुझे देखकर...
यूँ तो रो देना आसान होता है,
नम आँखें भी मुस्काई तुझे देखकर,
हम तो किसी भी चीज के काबिल ना थे,
काबिल हो चले हम तुझे देखकर...
खामोश रहकर भी तुझे बोलना आता है,
मेरी आँखें बोल उठी तुझे देखकर,
अब तो अच्छा लगता है हर मौसम,
फिर बेमौसम बरसात हुई तुझे देखकर...-