मृत्युंजय कुमार सिंह   ("गोपाल")
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दरिया मे डूब कर दिल भी नमकीन हो गया।
Joined 21 February 2020


दरिया मे डूब कर दिल भी नमकीन हो गया।
Joined 21 February 2020

क्यूं देखते हो औरों में कमियाॅ हजार
जब तुम में ही है खामियाॅ बेसुमार
मिट जाएगा दुख तेरा ऐ 'गोपाल' अभी
कभी खुद को खुद से मिलाओ तो कभी।

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ऑखें है तो खोल कर देखो इस जमाने को
न जाने कितनी ख्वाहिशें बेताब है आने को।

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पहले जीना बहुत आसान था
तेरे आने के बाद
मरना बड़ा मुश्किल सा हो गया है।

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चलो एक बार फिर
हम एक हो जाए..
तेरे नैनों की गहराई में
हम कहीं खो जाए,
एक स्पर्श पाने को तेरी
कितना किया मैंने इन्तजार,
ऑखों मे देखों मेरी
तेरे लिए हुं मैं कितना बेकरार।

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दिल में दबी कई बात और जज्बात
अब मेरे जवाॅ पर आने लगी है,
पर कहें कैसे अपने हालात कुछ ऐसे है,
'गोपाल' तब भी गूंगा था और आज भी है।

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सोने जा रही हो तुम
तो चैन से सो जाना।

तेरी ख्वाबों में आउंगा
तो पलकें बंद रखना।

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तेरी मासूमियत भी देखी हमने
और देखी तेरा सारी शैतानी।
तेरी प्यारी मुस्कान भी देखी हमने
और देख तेरा यूं गुमशुम हो जाना।

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दीदार कैसे करे हम
मेरा चांद तो...
ईद का चांद हो गया,

हल्की की मुसीबत
क्या आन पड़ी...
हल्के काले बादल के
ओट में कहीं गुम हो गया।

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जो तुमसे हो न सका वह
मै पुरा कर दिखलाऊंगा।

आज नहीं तो कल
मै भी ढेर सारे फाॅलोअर ले आऊंगा।

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सितम्बर कोण आदमी हे के
जे कुछ ले के आवेगा।

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