अल्फ़ाज़ अधूरे हैं मेरे
कुछ ख्वाब शिकस्ता से हैं
कुछ दिल अदावत करता है
कुछ तुम बेवफ़ा कहते हो
मैं खुशियाँ बाँटता फिरता हूँ
मुझसे तो सिर्फ ,ग़म बावस्ता है
मुझसे हैं तुम्हारे ख्वाब अधूरे
मुझे क्यों बस तू ही जचता है
~ to be continued.....
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8 JUL 2018 AT 16:27