कभी बातों से, तो कभी आँखों से मार देते है वो
जाने कैसे, मगर मेरा हर नशा उतार देते है वो।।
लब्ज़ खुलते नहीं, धड़कने बढ़ जाती है मेरी
कुछ इस तरह मुझे सारे जहाँ का प्यार देते है वो।।-
मगर यकीन मानों "दोस्तों",
ज़िन्दगी के हर दर्द से गुज़र गय... read more
हर दफ़ा सोचकर तुझको, अब सर झुकाता हूँ
मै सोचता भी नहीं, इतना पा कर पछताता हूँ।।
वो दिलकशी, वो मोहब्बत, जो हुई थी तुझसे,
आज, याद कर उन लम्हों को, बस टूट जाता हूँ।।।-
नाम बनाने की चाहत में खुद को बदनाम कर लिया मैंने
फैल गया हूँ हर ओर ऐसे, कि खुद को गुमनाम कर लिया मैंने।।
अब ना राह की खबर, ना मंजिल ना कोई आशियाना अपना
दिलों से दूर " मासूम " खुद को, अब बेनाम कर लिया मैंने।।-
मिटाए नहीं मिटते कुछ अक्स यादों से
मिटे ज़िंदगी, मगर नहीं मिटते वादों से ।।
प्यार मोहब्बत पर विश्वास नहीं अब तो
वो आए इस कदर जुड़ गये ख्वाबों से ।।-
काश !! मिल जाए वो राह हमको,
जिसकी कोई मंजिल ना हो
मिले तो समंदर भी बहुत हमको,
मगर ढूंढे, जिसका साहिल ना हो।।
हर राह पर खड़े ढूंढ़ने को काबिलियत अपनी,
ना मिला तो बस वो, जो किसी काबिल ना हो।।
इंतेहां दिये भी बहुत, और लिए भी बहुत,
कोई मिले तो बस ऐसा जो हम में शामिल ना हो।।-
एहसास ज़िंदगी के, अब दूर जाने नहीं देते
तुम्हें, रोज़ देखकर भी, तुमको पाने नहीं देते ।।
छिपी यादें लम्हों में, जोड़कर बैठी है ऐसे
सी-लिये लब्ज़ मगर, आँखे छिपाने नहीं देते।।-
कभी जो वक़्त मिले, तो हमको याद कर लेना
चाहत में डूबा है कोई, सोच कर नाज़ कर लेना।।
ये पल ज़िंदगी के "मासूम" बीत जाएंगे लम्हों में
सोच कर मुसाफिर हमको भी, बर्बाद कर लेना।।-
समझ को जान कर भी ना, ना समझे वही अज्ञानता है
अनेक रंगो से भरी इस दुनिया भी, भला कौन जानता है।।-
ज़िक्र तेरा कान्हा,जैसे खुशबू बन फिर जाता है
यही प्रीत तेरी मुझको, तुझ तक खींच लाता है।।-
किसी के आने जाने का, अफ़सोस नहीं होता अब्,
इतना टूटा हूँ "मासूम", कि और दर्द नहीं होता अब।। — % &-