Mritunjay Kumar  
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Joined 23 June 2021


Joined 23 June 2021
16 JAN 2022 AT 15:42

सब को खुश नहीं किया जा सकता
पर एक कोशिश कर के तो देखो।
सब के लिए सब कुछ नही किया सकता
पर किसी के लिए कुछ कर के तो देखो।
सब की तकलीफें दूर नहीं की जा सकती
पर एक कोशिश कर के तो देखो।
की सारी बातें सच्च नही कहीं जा सकती
पर के बार कोशिश कर के तो देखो।
कोशिश करने में क्या हर्ज है
कोशिश ही तो है एक बार कर के देखो।

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12 JAN 2022 AT 10:38

बात वही पुरानी है कुछ नया ना बदला है
लेकिन कुछ आदतें बदल जरूर गए है
मैं वही हूं जो पहले था पर मैं क्या करूं
मेरी कुछ जरूरतें जरूर बदल गए हैं

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5 JAN 2022 AT 10:05

कुछ नया करने का
इस नए साल में
कुछ नयी खुशियो को समेटने को
इस नए साल में

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4 JAN 2022 AT 11:29

Started listening Mahabhart podcast, And started spending time with myself and family.

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2 JAN 2022 AT 17:21

मैंने बहुत सोंचा खुद को बदलने को,
मैंने बहुत सोंचा खुद को बदलने को।
पर ऐसा कुछ हो ना सका,😅
पर देखते देखते साल जरूर बदल गया
अब ठाणा है कुछ बदलने को इस साल भी
कुछ बदलने को अब देखो क्या होता है 😁😁
Happy New Year 🥳🤗🎁

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1 JAN 2022 AT 21:10

कल तक हो रही थी बारिश,
आज अचानक से कुहासा छा गया।
ये जिस तरह मौसम बदल रहा है,
उम्मीद है कोई अपना ना बदलेगा।

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31 DEC 2021 AT 15:59

आज इस साल का अंतिम दिन है
मैं सोचता हूं कितना जल्दी ये साल निकल गया
जैसे फिसलते है रेत हमारे हाथों से।
जब आया था ये नया साल
तब दिल मे थी कुछ उम्मीदें
जो एक ख्वाब बन कर रह गया।
पर कुछ बातों का अफसोस भी है मुझे
जो इस साल मुझे दर्द दे गया।
पर जैसा भी था ये साल
हमे भी बहुत कुछ सीखा गया।
और ये साल भी था कुछ अजीब सा
लेकिन इसी बीच कुछ हसी पल दिल मे ठहर सा गया।
अब बस इंतजार है नया साल की
कुछ नया करने की और कुछ नयी खुशियो की।

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13 DEC 2021 AT 17:15

जो करता था सबकी मदद
वो आज किसी की मदद की आश में बैठा है
जो हर पल रहता था तैयार किसी के लिए
वो आज किसी के इंतजार में बैठा है
ना जाने क्या हुआ है उसे इनदिनों ?

जो रहता था हंसता हमेशा
आज देखे है आंसू उसकी आँखों में
जो कहता था हमेशा 'कोई ना हो जाएगा'
आज उसे खुद को खुद में टूटते देखा हैं
ना जाने क्या हुआ है उसे इनदिनों ?

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6 DEC 2021 AT 17:46

मैं बेवजह ही परेशान था
उन काल्पनिक वास्तविकताओं से।
मुझे तो ये पता ना था,
क्या मतलब होता है इन सबों का,
फिर भी मन मे उलझने थी,
उन काल्पनिक वास्तविकताओं के लिए।
मुझे ना जाने क्या हुआ था उस दिन,
मैं जितना सोचता उतना डूबता जाता,
बात इन सबों से भी परे थी,
इसी लिए हम खोए रहे उन काल्पनिक वास्तविकताओं मे।

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14 AUG 2021 AT 20:42

उन गुलामी के जंजीरों को तोड़ कर,
हमे आजादी का स्वाद चखाया था।
उन जवानों के बलिदान को रखेंगे याद,
क्यूंकि उन्होंने हस्ते-हस्ते जान गंवाया था।
आज हम पूरे दुनिया से कहते हैं आजाद हैं हम,
उन शूरवीर ने कतरा-कतरा लहू बहा कर हमे आजाद कराया था।
यूँही नहीं हमारा तिरंगा झंडा नीले गगन में लहराया था।
इस आजादी के पर्व को हर्ष उल्लास से मानना हैं,
आज उन जवानों को नमन करेंगे,
जिन्होंने देश को आजाद कराया था।

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