इस खेल में मोहरें अगर तुम्हारे भी होते, हम अफसोस तक ना करते अगर हारे भी होते, हमने सीखी नहीं बेवफाई इश्क़ में वरना हम जो किसी के होते तो तुम्हारे भी होते।।
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यह सच है कि मुझे अब खुद को समझाना नहीं आता, जिसे समझना होता है वो अपने आप समझ जाते हैं...💕
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उस नारी की बात हटाओ..
तुम इतना सा दर्द सह के दिखाओ
4 दिन ये लगा के घूम आओ..
चलो आज तुम मर्द बन के दिखाओ..!
#YouthAgainstRape
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बचपन बीता नादानी में,
फिर ‘तिनकों’ का मिला सहारा,
ख्वाबों के इस आसमान में,
उड़ चला वो परिंदा बेचारा
बरसों से संजोए थे जो सपने, अब चला उसे वो अपनाने..
एक बेबस लाचार परिंदा, निकला अपनी पहचान बनाने...!!
है चाहता कुछ वो जिंदगी से,
पर क्या ये उसे मालूम नहीं;
मंजिल भी सामने है लेकिन,
रास्तों का कुछ पता नहीं
तिनकों का सहारा छोड़ ,चला अपनी मेहनत पर इतराने
एक बेबस लाचार परिंदा, निकला अपनी पहचान बनाने...!!
है दर्द कोई दिल में उसके,
और प्यार भरा है मन में
ख्वाहिश है उसकी इच्छा जाए वो,
इस विस्तृत नील गगन में
अपनी राहें खुद ही बना कर ,खुद से खुद की पहचान कराने
एक बेबस लाचार परिंदा निकला अपनी पहचान बनाने.....!!-
प्यार में जब फर्क पड़ने लगे
समझ जाना
वो प्यार नही व्यापार बन चुका है...!-
वो मेरी हर दुआ में शामिल था
जो किसी और को बिन मांगे मिल गया...!-