Khasi hone par mulethi, haldi ,sinthi or ghee ka prayog kare
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बेटी
एक दिन जब तू घर से चली जाएगी..
इस वजह से मेरी आंख भर आएगी..
दिन तलाशेंगे तुमको होली दिवाली में..
मेरी गुड़िया ने मुझको नजर आएगी..— % &-
“हर एक आदमी अपने साथ एक वातावरण लेकर घूमता है, जिसके पास आने वाले अवश्य उससे प्रभावित होते हैं।”
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आज भी हम हारी हुई बाज़ी
खेलना पसन्द करते हैं,
क्योंकि हम अपनी किस्मत से
ज़्यादा खुद पर भरोसा करते हैं..!!-
यादों को भुलाने में कुछ देर तो लगती हैं
आंखों को सुलाने में कुछ देर तो लगती हैं
किसी शख़्स को भुला देना इतना आसान नहीं होता
दिल को समझाने में कुछ देर तो लगती हैं l-
चिर सजग आँखें उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना
जाग तुझको दूर जाना...-
जरूरी नहीं की हर समय जुबां पर भगवान का नाम आये, वो लम्हा भी भक्ति का होता है, जब इंसान-इंसान के काम आये l
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विभत्स हूँ... विभोर हूँ...मैं समाधी में ही चूर हूँ...
मार आया “मैं” को मैं...
“मैं” , “मैं” नहीं ...”मैं” भय नहीं...!!
जो सिर्फ तू है सोचता...केवल वो मैं नहीं...-
हमें देखो हमारे पास बैठो हम से कुछ सीखो
हमीं ने प्यार माँगा था हमीं ने दाग़ पाए हैं l-