Mridul Vajpai   (©'अम्बक')
82 Followers · 154 Following

...कलमकारी तो बस शौक़ के लिए करते हैं😊😊
Joined 5 October 2019


...कलमकारी तो बस शौक़ के लिए करते हैं😊😊
Joined 5 October 2019
25 JUN AT 18:40

प्रश्रय देने में लगे अधिकारी और सरकार
सुविधा शुल्क के नाम पर होता भ्रष्टाचार
होता भ्रष्टाचार अछूता बचा न कोई
हो लाचार गरीबी फूट फूट कर रोई
नियति करेगी न्याय नहीं है इसमें संशय
राम राज्य में हैं असहाय राम के आश्रय
मृदुल बाजपेयी (स्वरचित 25.06.2025,6:30 pm)

-


25 JUN AT 18:35

खटमल
छोटे, चपटे, पंखहीन कीड़े , जो लाल-भूरे रंग के होते हैं। वे आमतौर पर 5-7 मिमी लंबे होते हैं।  खटमल रात में सक्रिय होते हैं और मनुष्यों और अन्य गर्म रक्त वाले जानवरों का खून चूसते हैं।
     मानव सभ्यता के विकास से समाज में ‘शिक्षा’ का विकास हुआ और इसी शिक्षा रूपी औषधि से खटमलों ने भी विकास किया। अब ये 5–7 मिमी का रक्त चूसने वाला जीव 5–7 फुट कद में परिवर्तित होकर समाज का हिस्सा है। इन्होंने मनुष्य के वे सभी गुण अपनाए जिनसे ये समाज में सुरक्षित रह सकें किंतु आनुवंशिक खून चूसने की प्रकृति में परिवर्तन नहीं हो सका बस बदला तो केवल खून चूसने का स्वरूप।
        मनुष्य वह है जिसमें मानवता, दया, करूणा आदि भाव पाए जाते हैं किन्तु ठीक इसके विपरीत मनुष्य रूपी खटमलों में इन गुणों का अभाव होता है। पहले खटमल बिस्तर, फर्नीचर और दरारों में पाया जाता था किंतु अब गली, चौराहे,नुक्कड़,बाज़ार, सरकारी संस्थान सब जगह मिलेंगे और धनाढ्य हो अथवा निर्धन तरह तरह से सभी का खून चूसने में व्यस्त हैं।
मृदुल बाजपेयी (मौलिक, स्वरचित 25.06.25,6:00pm)

-


24 JUN AT 11:04

रोज बदलते देखे रिश्ते
कुछ घिसते कुछ रिसते रिश्ते
घर में खिंची दीवारें देखीं
दिल ही दिल मे पिसते रिश्ते
              माता और पिता की आंखें
              वृद्धाश्रम में राह निहारें
              जिसको था पाला और पोसा
              उसने ही दिन रात है कोसा
थे सोते ओढ़ के एक रजाई
बंटवारे को वह लड़ते भाई
अब तक थे जिनसे अनजाने
हैं उनसे रिश्ते बने सुहाने
              फूफा मौसा चाचा मामा
              देख के सबको मुँह बिचकाना
              यह एकल परिवार की माया
              घर में कोई अतिथि न आया
मृदुल बाजपेयी(मौलिक,स्वरचित 18/09/20,12:59am)

-


14 MAR AT 21:54

एक बिंदी से चला जो कारवां अल्फ़ाज़ का
दो दिलों के दरमियां वो इश्क़ का आगाज़ था
हाथ तेरे सौंप दी अब ये मुहब्बत की निशानी
इसको मेंहदी में सजा, तारा बना ले मांग का
(**मृदुल बाजपेयी 14.03.25,9:44pm)

-


9 FEB AT 23:00

हमसफ़र की तलाश में एक उम्र हमने गुज़ार दी
न सफ़र कभी पूरा हुआ न हमसफ़र ने पुकार दी
तेरे शहर से गुज़र गया ग़ुबार–ए–इश्क़ वो आदमी
इबादतों में जो थी दुआ दर असल वो असार थी
मृदुल बाजपेयी (09.02.25,8:30pm)

-


9 FEB AT 22:26

कुछ बोल तो,थोड़ा हंस सही, ख़ामोश रह के सज़ा न दे
यही चंद लम्हे हैं आखिरी कहीं मौत मुझको उठा न ले


सर ए राह उसका मुकाम है उस गली से गुजरना छोड़ दे
वो शख़्स भी लस्सान है कहीं तुम्हें पकड़ के बैठा न ले

-


9 FEB AT 22:14


तेरे मौसमों के लिबास हैं और गुलों से खुशबू पाई है
तेरे नैन–ओ–नक्श कटार हैं तेरा रुप–ओ–रंग रूबाई है
तेरे हुस्न–ओ–जमाल को इस तरह लफ्ज़ों में पिरो दिया
एक एक शख़्स ज़िबह हुआ ये ग़ज़ल जिसे सुनाई है
मृदुल बाजपेयी (09.02.25,4.30pm)

-


5 FEB AT 7:57

गुल–ए–चमन की तलाश थी, गुल–ए–सुर्ख कोई मिला नहीं
फ़स्ल–ए–गुल आई गई कई दफ़ा जीवन से पतझड़ गया नहीं
मृदुल बाजपेयी (05/02/25,7:50 AM)

-


3 JUL 2024 AT 0:24

कच्ची मिट्टी जैसा होता है बचपन
तितली जैसा चंचल होता है बचपन
बेफ़िक्र हमेशा स्वप्न लोक में घूमे मन
कल कल झरने जैसा होता है बचपन
इंद्रधनुष सा सतरंगी होता है बचपन
अल्हड़ और अतरंगी होता है बचपन
हठ से न हटने पर आमादा हो दिल
एक बैरागी के जैसा होता है बचपन
मौलिक/स्वरचित- मृदुल बाजपेयी 'अम्बक'
(02/07/24, 12:00am)

-


15 JUN 2024 AT 22:43

हैं प्रतीक्षा में तुम्हारी, द्वार के दीपक अभी तक
तुम अगर 'हाँ' बोल दो तो, गुल से मैं राहें सजा दूँ
स्व रचित- मृदुल बाजपेयी (14/06/24, 7:00pm)

-


Fetching Mridul Vajpai Quotes