Mridual Prabhaa   (Mridual Prabhaa)
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Writer Artist Storyteller
Joined 17 July 2017


Writer Artist Storyteller
Joined 17 July 2017
16 JUN 2023 AT 19:09

नियति का लेखा-जोखा बहुत पक्का है।
अच्छा या बुरा..जो भी करोगे, सब 100 गुना ब्याज लग कर लौट कर आएगा।

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26 MAY 2023 AT 20:33

Today I decided to smile all day without a reason..
The universe gave me so many reasons to smile today..

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19 MAY 2023 AT 15:07

वट सावित्री की पूजा थी..
अमावस्या का दिन था..
उसके घर चाँद सा बेटा हुआ..
सुन्दर.. श्वेत.. चाँद सा उजला..
नर्म सा और नाजुक सा
विलक्षण और भावुक सा..
हमेशा मुस्कराने वाला..
हैप्पी कहलाने वाला..

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19 MAY 2023 AT 14:51

वो बाद में आए हमारे
और जल्दी चले गए
बड़े लोगों की महफिल थी
हम मिलने से रह गए

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17 MAY 2023 AT 18:06

My life is not perfect
But I am perfectly okay with it.

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25 DEC 2022 AT 8:29

तुम्हे यादों में जिंदा रखती हूँ
मैं हर रोज थोड़ा सा मरती हूँ
सब तो वही है पर वैसा नहीं है
मैं ठीक हूँ.. मैं सबसे कहती हूँ

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15 DEC 2022 AT 12:40

तुम्हारे जाने के बाद मैं बहुत थकने लगी हूँ
हमारे बचपन की यादें ढोती रहती हूँ..

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14 DEC 2022 AT 10:57

रत्ती भर फर्क़ नहीं पड़ता उसे
और मुझे बहुत फर्क़ पड़ता है
बस यही फर्क़ है
उसमे और मुझमें

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1 DEC 2022 AT 13:42

I break down often
Shatter into pieces..
I gather my pieces
Glue them together..
I renew, refresh, readjust, realign and reinvent a new me in the process.
But tears that run down every time
have the same composition of salt, warmth and pain.

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1 DEC 2022 AT 13:17

समय निष्ठुर, निर्दयी, निर्मोही है
रुकता नहीं है
ठहरता नहीं है
थमता नहीं है

जब धड़कन रुक गयी
ठहर गई आँखें
थम गई साँसें
देह को छोड़ गई जीवात्मा..

समय की गति के साथ चलती है
क्या जीवात्मा का स्वभाव समय जैसा है?

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