मैं हमेशा सब को चुभता रहूं,
मैं कोई अर्क़ तो नही...!
जितना बुरा बताया गया हूं,
उतना मैं बुरा तो नहीं...!!-
मैं भीगना चाहूं तेरे संग,चाहे हो वो पहली या आख़िरी बरसात.....
और
सोना चाहूं तेरी गोद मे सिर सर रखकर,
चाहे हो वो पहली या आख़िरी रात....!!!
AlOnE_sOuL
-
राह-ए-मुहब्बत में बहुत से,
अर्क पड़े थे...!!
और
बड़े ताज्जुब की बात है,
वो चुभ बस मुझे रहे थे..!!!-
इश्क़ का खेल भी बड़ा,
अजीब है.....
पहले दिल ले लेती है,
और फिर जान भीख में देती है....!!!!-
उनका साथ था तो, ख़्वाब थे मेरे।
जैसे ही वो मुझसे रुख मोड़ गए है,
तो अब,,,
ख़्वाबों का दफ़न होना जरूरी है।।
-
काश मैं भी उसको भूल सकता,
उसकी यादों को मिटा सकता,
उन सभी पलों को भूल सकता,
काश मैं भी सब कुछ छोड़ सकता।।।
उनका ये वर्ताव अच्छा नही लगता,
जब वो अपने है ही नहीं तो,
उसका बुरा क्यों है लगता.?
आखिर क्यों...?? आख़िर क्यों...??
-
दुआओं को लगी नजर है,
जनाजा भी निकला मेरा
और खुशी भी न मिली उसे.....-
तुम मेरे हिस्से में नही हो ,
तो क्या हम मर जाएंगे।
हां शायद यही सही है,
जो हम सबको अलविदा कह जाएंगे।।
तुमसे तुम्हारे सारे गम दूर कर जाएंगे,
और अपनी सारी खुशियाँ तुम्हारे नाम कर जाएंगे,
अब हम तुम्हारे बिना रह ही नहीं पायेंगे,
तो यही सही है ना हम सबको अलविदा कह जाएंगे..
हमने ख्वाबों में सजाये थे अपने महल,
मगर उसे तुम रखना तो चाहते हो,
रहना नही।।।
अब हम अकेले न जी पायेंगे ,
तो यही सही है न हम सबको अलविदा कह जायेंगे।।।
तुम्हारी राह देखते देखते पथरा गई मेरी आँखें,
मगर तुम कहीं नजर ही न आये।।
मेरी आँखें भी चली है आखिरी नींद सोने को,
आ जाओ अब तो मेरा हाल-ए-दिल पूछने को।।
पता है मुहे तुम नही आओगे,
न ही मैं तेरा इंतज़ार कर पाऊं और न ही सब्र कर पाऊं,
तो अब यही सही है न कि मैं अलविदा कह जाऊं।।।।।-
ख़्वाबों की दुनियां भी,
बड़ी अजीब होती है- जनाब
ख़्वाब पूरे न हो तो दिल,
टूट जाता है।
और पूरे हो जाये तो आंखों,
से ख़्वाब छूट जाते है।-