धरती सा धीरज दिया और आसमान सी ऊंचाई,
खुदा ने कुछ इस प्रकार तस्वीर है बनाई,
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खुदा की इस जिवित प्रतिमा को हम पिता कहते हैं.!-
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इस मतलबी दुनिया में मैं भी मतलबी हो गया,
देखो तो कब्र खुदी थी किसी और के लिए, और मैं सो गया...
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मगर उसमें लोग कांटे की तरह बस्ते है,
जो दिन-रात चुभते रहते है......
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आज कल रह रहा हूं,
किसी से कुछ नहीं कह रहा हूं,
अपनी दर्द को बस चुप-चाप सह रहा हूं....-
जिंदगी से बहुत लड़ चुका हूं,
दर्द परेशानी काफ़ी सह चुका हूं,
अब नहीं जिया जाता, अब नहीं सहा जाता??
अये खुदा आ और ले चल मुझे....-
नहीं करनी है किसी से शादी,
नहीं बनाना है किसी को अपनी पत्नी,
नहीं बनाना है किसी को अपने घर की बहू,
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यार मैं भी इंसान हूं, हर दर्द मैं ही क्यों शहूं ...-
हम चाहते तो उसे कब का मना लेते.???
पर बदले हुए लोग मनाने से कहां मानते हैं......
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कहीं दूर चले जाएंगे,
तुम्हें याद तो आयेगी मेरी,
पर हम कभी वापस लौट कर न आयेंगे-
मेरे हर 'गम' में तुमने मेरा साथ दिया,
मेरे सारे 'खुशियों' को तुमने दोगुना कर दिया,
मेरे हर 'मुश्किलों' को तुमने अपना मान लिया,
मेरे 'कमजोरी' को छुपा कर तुमने 'मज़बूती' का सहारा दिया,
I really love you --- 'A'-