Mr.poet (#Alok_verma)  
137 Followers · 132 Following

read more
Joined 4 July 2020


read more
Joined 4 July 2020
2 FEB AT 23:17

भारत का एक महान अंश है युगों युगों का सार भी है
हम आ रहे हैं उसी शहर में जिसका गौरवशाली इतिहास भी है
वह जिला है पाटलिपुत्र जहाँ माँ गंगा का वास भी है

-


31 DEC 2023 AT 22:36

खुशबू से भरा दिन और चाँदनी से भरी रात हो
इस नए साल हर एक लम्हा खास हो
हो सब कुछ जो चाहत आपका दिल करे
मुकम्मल हो हर गुजारिश और हर एक खुशी आपके पास हो

-


7 DEC 2023 AT 20:40

वो भोला भी हैं और भैरव भी उनके रूपों का अंत नहीं
कोई जान सके उनको यूं ही तो इतने भी वह सरल नहीं
वो क्षमा भी हैं और दंड भी हैं उनपर कर्मों का जोर नहीं
नन्दी उनके वाहन हैं और भुजंग गले में धारण है
वो भूत प्रेत संग रहने वाले उन संग भय का कोई मेल नहीं
और भोले की शरण में आने वाला भोले का हो जाता है
फिर क्या विपदा क्या चिंता हो जब काल का ही कोई जोर नहीं
क्या मनुष्य क्या गंधर्व कहो वह पशुओं के भी दाता हैं
और पशुपतिनाथ के आगे ऐसा कौन है जो मंत्रमुग्ध नहीं
मैं कहता हूँ मेरी कलम हि क्या मेरे शब्दों की आहुति लो
मैं भस्म से पूजूँ मेरे महाकाल को इससे ज्यादा कोई खुशी नहीं

-


6 DEC 2023 AT 9:35

की भूत भी और भविष्य भी वर्तमान भी श्री कृष्णा है
और कृष्ण ही हैं शब्द तो फिर मौन भी श्री कृष्णा है
की ज्ञान भी श्री कृष्णा है विज्ञान भी श्री कृष्णा हैं
और मेरे मन में उठ रहे सवाल भी श्री कृष्णा हैं
और तत्व का हैं सृजन तो फिर अंत भी श्री कृष्णा है
कण-कण में देखो कृष्णा है हर छन में देखो कृष्णा हैं
तुम जो कहो तो मृत्यु भी और निर्माण भी श्री कृष्णा हैं
माँ के गर्भ में पल रही वह जान भी श्री कृष्णा है
और जलती चिता शमशान में तो राख भी श्री कृष्णा हैं
ना मर रहा है कोई भी ना कोई भी जिंदा हुआ
इस नश्वर जगत के मूल का आधार ही श्री कृष्णा हैं
तेरे वह बहते अश्क भी और मुस्कान भी श्री कृष्णा हैं
और तू लड़ रहा है भला किस से किस से घृणा कर रहा
तू प्रेम कर बस प्रेम कर
बस प्रेम ही श्री कृष्णा हैं , बस प्रेम ही श्री कृष्णा हैं!

-


23 OCT 2023 AT 3:54

बता सकूँ मैं तुमको तो मैं एक बात बतलाता हूँ
वह ग्रंथ वेद वह गीता के मैं भाव पुनः दर्शाता हूँ
करता हूँ मैं कुछ सवाल आज अपने प्रियजन लोगों से
की कहाँ गया वह शोर्य हमारा और कहां गई मर्यादा है
क्या खो दिया वह ज्ञान ही हमने जो आदर सम्मान दिलाता है
और सब कुछ छोड़ो बस उत्तर दो कहां गई वह सिख हमारी
जिसमें खुद माधव के द्वारा कहे गए जीवन के सत्य को पाता हूँ
क्या तुमको भी स्मृति होती है
की आगे बढ़ाने की धुन में हम कुछ तो है जो गंवा बैठे हैं
वह सत्य सभी भूला बैठे हैं बस धुंधली यादें पता हूँ‌
वह वेद पुराने वह ग्रंथ सभी मैं उनको जीना चाहता हूँ
पर हर रोज इन्हीं सवालों को मैं अपने अंदर पता हूँ
सोच के इन सब बातों को मैं नश्वर समान हो जाता हूँ

-


14 OCT 2023 AT 9:16

मैं हर रोज खुद के विचारों से ही प्रतिस्पर्धा करता हुआ
कभी खुद को ही हराता, तो कभी खुद से जितता हुआ
हर रोज बदलती है मेरे जीत की परिभाषा
मैं अपने ही खयालों में अपना अस्तित्व ढूँढता हुआ।
कभी करता है मेरी कहानियों में मेरी ही निन्दा
मेरा अस्तित्व हर रोज लगता है मुझसे झगड़ता हुआ
डर नहीं लगता उसे मुझसे कि उसे मिटा ना दूँ
वह हर रोज एक नई चुनौती लेकर मेरे साथ जगता हुआ
मैं इतना दृढ़ तो कभी था ही नहीं जितना उसने बनाया मुझे
एक प्रतिद्वंदी की तरह मुझे मेरी खामियाँ बताता हुआ
अब सोचता हूँ क्या जरूरत थी मुझे औरों से तुलना की
जब सीख सकता हूँ मैं खुद से प्रतिस्पर्धा करता हुआ
मैं हर रोज खुद के विचारों से ही प्रतिस्पर्धा करता हुआ
कभी खुद को ही हराता, तो कभी खुद से जितता हुआ

-


9 OCT 2023 AT 20:09

Paid Content

-


6 OCT 2023 AT 0:46

तुम भूल रही हो अस्तित्व जो खुद का चलो आज दोहराता हूँ।
तुम जगत जननी का अंश हो, जगदंबा तुम्हें बुलाता हूँ।
यह जग तोड़ेगा गुरुर तुम्हारा, है खुद पर इतना घमंड इसे,
नादान है शायद भूल गया, चलो इसकी भूल बताता हूँ।
जो जन सकती है प्राण तुम्हारे उसको हरने का भी कोई मोल नहीं।
और तुम कहते हो तुम उस नारी का भविष्य रचोगे,
जिसके कालरात्रि स्वरूप के आगे नतमस्तक शीश झुकाता हूँ।
जिसका स्वरूप है कोमल उसका एक और रूप दिखलाता हूँ।
हाँ जिन्होंने महिषासुर को फाड़ दिया, माँ दुर्गा उन्हें बुलाता हूँ।
चलो तुम्हें तुम्हारे अधर्म जो सारे आज तुम्हें गिनवाता हूँ।
चले हो नारी को मर्यादा का पाठ सिखाने उसका अस्तित्व बताता हूँ।
जो खुद मर्यादा को लेकर जन्मी थी माँ सती भी उन्हें बुलाता हूँ।
और क्रोध में आकर के जिन्होंने चंद मुंड का मस्तक काट दिया,
माता के इस काल स्वरूप से शक्ति का परिचय पाता हूँ।
और कहूँगा गर ज्यादा तो नारी से थर-थर काँपोगे,
इसीलिए नारी को अक्सर ही शक्ति का परिपूर्ण स्रोत बताता हूँ।

-


5 OCT 2023 AT 21:42

महाभारत की उस गाथा में एक महारथी तो मैं भी था,
पर विजय धनुष तो तब डोला
जब माधव ने आकर सत्य कहा कि अपने अनुजों पर बाँण चलाओगे।
और चकित खड़ा में मौन हुआ जब माता कुंती ने भी मांग लिया,
मांग लिया था सब कुछ मेरा अब क्या लेना चाहोगे।
फिर आए थे देवराज भिक्षुक के वेश में यह कहने,
की सबको तो भिक्षा देते हो पर क्या जो मांगूंगा दे पाओगे।
चीर दिया तब कवच को मैंने अपना कुंडल भी खींच दिया,
दान दिया खुद इंद्र को मैंने क्या ऐसा राजा बन पाओगे।
हे माधव अब आप बताओ वह कर्ण कहाँ से लाओगे।
हे माधव अब आप बताओ वह कर्ण कहाँ से लाओगे।

-


15 JUN 2023 AT 22:36

Jab nayab saks ki kadar nhi
phir palat kar hmse sawal kaisa,
Jo here ki parakh na kar ske
Us johri ke kaam me ye naam kaisa...

-


Fetching Mr.poet (#Alok_verma) Quotes