पशेमां-शिकन अलामत वो ताबिंदा नज़र आता है
मफ़रूर कोई शख़्स ख़ुद पर शर्मिंदा नज़र आता है
*पशेमां-शिकन - पश्चाताप भरी चिंता, ताबिंदा- रौशन/साफ़
मैं समझा हसद-ओ-कीना ने उसका गला घोंट दिया
अये! मुनाजातों के वाली तू तो जिंदा नज़र आता है
*हसद-ओ-कीना - जलन, द्वेष
क्यूँ लश्कर-ए-जुगनू लेकर ढूंढ़ते हो तुम कहाँ किसे
भटका शख़्स सहरा में कहाँ आइंदा नज़र आता है
*लश्कर-ए-जुगनू -जुगनूओं का झुण्ड
मुश्क़-ए-मो'अत्तर घोला है ये हवाओं में किसने
'शहर-ए-मोहब्बत से कौन यहाँ बाशिंदा नज़र आता है
*मुश्क़-ओ-मो'अत्तर - खुश्बू से भरा हुआ, इत्र
मग़रिब की अदना आंधी ने तुझे सरकश किया यहाँ
मिन्हाज़ मुज़दिल भीड़ का ही तू नुमाइंदा नज़र आता है
*मग़रिब - पश्चिम *सरकश- विद्रोही, मुँहज़ोर
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