जो रख कर गुलाब खत में ख़्वाब हसीं दिखा रहें हैं....
हर शाम वो ही हमारी उल्फतो क़ो एक आईना दिखा रहें हैं..!!
कुछ इस कदर वफ्रा-ए-मोहब्बत निभाते हैं हमसे ...
इल्जाम सारे हमारे सिर करके हमें वफ़ा शिखा रहें हैं..!!
चोट कितनी खाई है दिल-ए-नादान पे क्या ख़बर,
वो हमारे जख्मों पे रखकर मरहम उन्हे खुद ही कुरेदे जा रहें हैं..!!
कहतें हैं हमें अपना वो अक्सर दबे अल्फाजों में ...
और हर बार जमाने के आगे बेगाना हमें किए जा रहें हैं..!!
शब-ए-जिंदगी के अंधेरों मे तन्हा हमे वो क़र गए ...
जो चराग़ रौशन किए हमनें वो उन्हे भी बुझाए जा रहें हैं..!!
हम शाम-ए-अलम क्रो समझते रहें शुबह जिंदगी की..
क्या थी ख़बर कि वो सिर पर रख कर हाथ कसमे झूठी खा रहें हैं..!!-
'शीलं परमं भूषणम्'
।। यतो धर्मस्ततो ... read more
खामोशी के पर्दे में छुपा एक राज़ है,
हंसते चेहरे के पीछे दर्द का साज़ है।
अंदर सुलगती है आग बेइंतहा,
पर बाहर मुस्कान का ही अंदाज़ है।
दिल चीखता है, मगर आवाज़ नहीं,
आँखें नम हैं, पर कोई राज़ नहीं।
लफ्ज़ थम जाते हैं होंठों की दहलीज़ पर,
हर सिसकियाँ भी बन जाती हैं बेआवाज़ कहीं।
जो समझ सके, वो अपने से लगते नहीं,
जो सुन सके, ऐसे कान मिलते नहीं।
खामोशी की भी जुबां होती है,
पर हर कोई उसे पढ़ पाता नहीं।-
मैं बड़ी देर तक देखता रहा तस्वीरों में तुम्हें जाna,
इस बार भी तुम होली पर तस्वीरों से बाहर नहीं आए..!-
किस तरह छोड़ दूं जाna
तुम मेरी जिंदगी की आदत हो,
दास्तां ख़त्म होने वाली है
तुम मेरी आखिरी मोहब्बत हो..!
-जॉन इलिया
-
इन वीरान पतझड़ो ने लूटा है मुझको बहुत,
वरना कई बसंत मेरी चौखटों से यूं ही गुजरे हैं..!-
पर कमबख्त ये एक मेरा दिल है जो
इतनी जिल्लत के बाद भी तेरा होना नहीं छोड़ता..-
दुखता है दिल तो कभी मन झटपटा जाता है,
बिता हुआ एक हादसा जब याद आता है...!!-