Mr. Mohit Jain   (MR.~Mohit~Jain)
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Joined 15 September 2018


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Joined 15 September 2018
23 AUG 2024 AT 12:04

उत्तम क्षमा धर्म
क्रोध के क्षणों में क्रोध की उत्पत्ति होने पर क्षमा को धारण करना ही "उत्तम क्षमा" धर्म है।
उत्तम क्षमा धर्म की जय🙏
~मोहित जैन
दशलक्षण महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं 💐
08-सितम्बर-2024

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3 JUL 2023 AT 7:24

किमत्र बहुनोक्तेन शास्त्रकोटि शतेन च।
दुर्लभा चित्त विश्रान्तिः विना गुरुकृपां परम्।।
Ⓜ️✍️अर्थात्~बहुत कहने से क्या? करोडों शास्त्रों से भी क्या? चित्त की परम शांति, गुरु के बिना मिलना दुर्लभ है।
विद्वत् मोहित जैन "शास्त्री"
"गुरुपूर्णिमा" की हार्दिक शुभकामनाएं💐

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3 JUL 2023 AT 7:21

"गुरुपूर्णिमा-विशेष"
दुग्धेन धेनुः कुसुमेन वल्ली शीलेन भार्या कमलेन तोयम् ।
गुरुं विना भाति न चैव शिष्यः शमेन विद्या नगरी जनेन।।
Ⓜ️✍️अर्थात्~जैसे दूध के बिना गाय, फूल के बिना लता, चरित्र के बिना पत्नी, कमल के बिना जल, शांति के बिना विद्या, और लोगों के बिना नगर शोभा नहीं देते, वैसे ही गुरु बिना शिष्य शोभा नहीं देता।
विद्वत् मोहित जैन "शास्त्री"
#गुरुपूर्णिमाया: हार्दिक्य: शुभकामना:💐

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2 JUL 2023 AT 10:47

सहसा विदधीत न क्रियामविवेकः परमापदां पदम्।
वृणुते हि विमृश्यकारिणं गुणलुब्धाः स्वयमेव सम्पदः॥
Ⓜ️✍~अर्थात्~किसी भी कार्य को अनायास शुरू नहीं करना चाहिए, क्योंकि अविवेक सबसे बड़ी विपत्तियों का कारण होता है। संपत्ति स्वयं भली भांति विचार करके कार्य करने वाले के गुणों से प्रसन्न होकर स्वयं उसका वरण करती है।
Ⓜ️✍~किरातर्जुनीयम्

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2 JUL 2023 AT 10:25

स्मरणमपि कामिनीनामलमिह मनसो विकाराय।
Ⓜ️✍️अर्थात्~सखियों का स्मरण भी मन को विकृत करने के लिए पर्याप्त होता है।
Ⓜ️✍️~प्रबोधचन्द्रोदय

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2 JUL 2023 AT 10:23

बहुदोषा हि शर्वरी।
Ⓜ️✍️अर्थात्~रात बहुत दोष वाली होती है, क्योंकि सारे गलत कार्य रात में ही होते है।
Ⓜ️✍️~मृच्छकटिकम्

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2 JUL 2023 AT 10:19

दुर्लभ गुणा विभवाश्च अपेयेषु तडागेषु बहुतरमुदकं भवति।
Ⓜ️✍️अर्थात्~सद्गुण और धन एक ही व्यक्ति में मिलना कठिन है, जिनका पानी पीने योग्य नहीं होता उन्हीं तालाबों में खूब पानी होता है।
Ⓜ️✍️~मृच्छकटिकम्

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2 JUL 2023 AT 10:17

भाग्यक्रमेण हि धनानि भवन्ति यान्ति च।
Ⓜ️✍️~अर्थात्~भाग्य से ही धन आता है और जाता है।
Ⓜ️✍️~मृच्छकटिकम्

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2 JUL 2023 AT 10:12

अहो निर्धनता सर्वपदामास्पदम्।
Ⓜ️✍️अर्थात्~ओह! निर्धनता सभी आपदाओं का जड़ है।
Ⓜ️✍️~मृच्छकटिकम्

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2 JUL 2023 AT 10:10

छिद्रेष्वनर्था बहुली भवन्ति।
Ⓜ️✍️अर्थात्~मनुष्य की विपत्ति के समय छोटे दोषों में भी बड़े-बड़े अनिष्ट हो जाते है।
Ⓜ️✍️~मृच्छकटिकम्

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