उन 42 धड़कनों का विराम,
जो भारत मां के लिए धड़का करते थे..
तिरंगे में लिपटे उन शहीदों का,
जो देश के खातिर सबकुछ करते थे..
हर उस जेहन का दर्द,
जो उनके घर आने के इंतजार में बैठा करते थे..
पुलावामा में बहे हर खून के कतरे का,
जो भारत मां के सपूतों की रगो में बहा करते थे..
चुन चुनकर बदला चाहिए सबका इस तरह,
ये कायर बिलुप्त होते हुए कहें हम भी कभी तादाद में हुआ करते थे..
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