किसी की आंखे नहीं पढ़ पाता मैं,
इस कदर प्यार है कविताओं से!!-
1. मैं इस पोस्ट पर collab कर रहा जबकि इसपर लिखने के लिए मेरे पास कुछ भी नहीं है।
2. मैंने पहली वाली बात बताने के लिए collab किया।-
उन 42 धड़कनों का विराम,
जो भारत मां के लिए धड़का करते थे..
तिरंगे में लिपटे उन शहीदों का,
जो देश के खातिर सबकुछ करते थे..
हर उस जेहन का दर्द,
जो उनके घर आने के इंतजार में बैठा करते थे..
पुलावामा में बहे हर खून के कतरे का,
जो भारत मां के सपूतों की रगो में बहा करते थे..
चुन चुनकर बदला चाहिए सबका इस तरह,
ये कायर बिलुप्त होते हुए कहें हम भी कभी तादाद में हुआ करते थे..
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कमबख्त ये पहली मोहब्बत भी कमाल की होती है,
उस मंजिल का मुसाफ़िर बना देती है..
जिसके सफ़र मे अक्सर,
हमसफर छूट जाया करते हैैं...
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कुछ यादें तो होनी चाहिए,
जो तनहाईयों में मुस्कुराहट बन जाएं।
कोई तो होना चाहिए,
जिसे अपनी मुकद्दर में ढूंढा जाए।-
कुछ यादें ठहरने सी लगी हैं जेहन में आजकल..
गुमशुदा महसूस करने लगा हूं खुद को...
बेखबर हूं खुद से इस कदर..
लोग हाल पूंछते हैं,सिर्फ मुस्करा देता हूं अब...-