मैं कभी जन्मा नही
मैं अमर हू पार्थ
मैं ही सबसे पहले हूं
मैं ही हूं सबके बाद...-
तू रोया करे उठ उठ कर चांद रातों में
खुदा करे तेरा भी मेरे बगैर जी न लगे-
एक अरसा हुआ, हमे खुलकर मुस्कुराए हुए
और वो लिखतीं है
Happiness looks great on your face...
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हम हुए गैर जब उनको कोई उनके जैसा मिल गया ,
खैर छोड़िए ,कहने को हमें भी एक नया किस्सा तो मिल गया
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ज्ञानी सौ विद्वान सम,साहस हृदय असीम।
भारत मां पाकर तुम्हे ,धन्य हुई है भीम।।
सम्भाषा-
ये देखो ये जलियावाला, यहां चली थी गोलियां,
ये मत पूछो यहां किसने खेली थी होलियां!
एक तरफ बंदूके दन दन एक तरफ थी टोलियां,
मरने वाले बोल रहे थे इंकलाब की बोलियां!
यहां लगा दी बहनों ने भी बाजी अपने जान कि
इस मिट्टी को नमन करो ये मिट्टी है बलिदान की!!-
(जलियांवाला बाग)
यहां कोकिला नहीं काग हैं शोर मचाते,
काले काले किट भ्रमण का भ्रम है उपजाते!
कलियां भी अधखिली मिली है,
वे पौधे ,वे पुष्प शुष्क है अथवा झुलसे!
परिमल हिन पराग दाग सा बना पड़ा है,
हां यह प्यारा बाग़ खून से सना पड़ा हैं !!
~~सुभद्रा कुमारी चौहान-
बगैर उसको बताए निभाना पड़ रहा है..
ये मेरा इश्क इश्क़ नहीं एक राज है ,
जिससे करते है उन्हीं से छिपाना पड़ रहा है।।
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