Mr. KHAN   (Mr.KHAN)
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Joined 29 August 2019


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Joined 29 August 2019
31 JUL 2021 AT 6:59

टूटी हुई कश्ती का हुनर देख रहे हैं ,
साहिल पे खड़े लोग इधर देख रहे हैं !
तुम पैर के छालों को फ़क़त देख रहे हो ,
हम और भी आगे का सफ़र देख रहे हैं !

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3 JUL 2021 AT 23:49

Have full hope from Allah
and don't be disheartened

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26 MAY 2021 AT 23:12

चले थे जिस की तरफ़ वो निशान ख़त्म हुआ
सफ़र अधूरा रहा आसमान ख़त्म हुआ

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19 MAY 2021 AT 17:00

थोड़ा पानी रंज का उबालिये
खूब सारा दूध ख़ुशियों का ,थोड़ी पत्तियां ख़यालों की.
थोड़े गम को कूटकर बारीक, हँसी की चीनी मिला दीजिये.
उबलने दीजिये ख़्वाबों को ,कुछ देर तक..
यह ज़िंदगी की चाय है जनाब. इसे तसल्ली के कप में छानकर ,
घूंट घूंट कर मज़ा लीजिये☕

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19 MAY 2021 AT 16:56

मेरी जज्बातों का कोई तो सिला दो,
कभी घर बुलाकर चाय तो पीला दो।❤️✨

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19 MAY 2021 AT 0:39

वो दोस्त चाय की तरह है
जब तक मिल नहीं जाता सुकून नही मिलता
चाय की तरह उबल रही है ज़िन्दगी
मगर हम भी हर घूँट का आनन्द शौक लगे

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19 MAY 2021 AT 0:31

चाय के जैसे उबल रही है ज़िन्दगी
मगर हम भी हर घुट का आनंद शोक से लगे..
वो नादान दोस्त दूर ही सही पर
उसको चाय पी कर हर लम्हा याद करोगे

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15 MAY 2021 AT 10:35

ग़मज़दा होके भी मुस्कराये हैं हम इस बरस ईद एैसे मनाये हैं हम !
चाहतों के हर एक सिलसिले के लिये और मुहब्बत के हर क़ाफिले के लिये ।
अपनी ख़ुशियों से ज़्यादा ज़रूरी था ये सारी इंसानियत के भले के लिये !
हाथ अपने दुआ को उठाये हैं हम इस बरस ईद एैसे मनाये हैं हम !
दोस्त अहबाब से दूर रहना पड़ा क्या कहें कितना मजबूर रहना पड़ा ।
ख़्वाब ख़ुशियों के जो थे सजाये हुए, एैसे हर ख़्वाब को चूर रहना पड़ा ।
अपनी पलकों पे ऑंसू सजाये हैं हम इस बरस ईद एैसे मनाये हैं हम !
हर तरफ़ बस उदासी की तम्हीद है
ना तेरा अक्स है ना तेरी दीद है । हम किसी से गले तक नहीं मिल सके
मेरे रब तू बता क्या यही ईद है । सिसकियों को जहॉं से छुपाये हैं हम
इस बरस ईद एैसे मनाये हैं हम !
अपनी धड़कन के हर थाप से दूर हूँ, ईद का दिन है और आप से दूर हूँ ! सारी ख़ुशियॉं उदासी में लिपटी रहीं
ईद के रोज़ मॉं बाप से दूर हूँ ! मॉं के होते सिंवइयॉं बनाये हैं हम
इय बरस ईद एैसे मनाये हैं हम !

~इमरान प्रतापगढ़ी

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9 MAY 2021 AT 10:50

फर्क नहीं पड़ता कि दुनिया क्या कहती है,
मैं अच्छा हूँ यह मेरी माँ कहती है।
#happymothersday

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3 MAY 2021 AT 20:01

सलामत रहे गुरुर उसका
वैसे भी हम तो फ़क़ीर ठहरे!

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