Mr. Kaushik   (Mr. Kaushik)
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Joined 22 March 2020


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Joined 22 March 2020
8 FEB AT 9:54

आज कल सपनों में भी बात नहीं होती
लगता है शहर में उसके रात नहीं होती

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30 DEC 2024 AT 17:11

मैं इस बात से खफा नहीं हूँ कि तू मेरे पास नहीं है
अफसोस तो इस बात का है कि तू भी कोई खास नहीं है

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30 JUL 2024 AT 8:23

बर्फ सा सीना लिए पहुँचे नजदीक उस आग के
देखते ही देखते हम आंखों से पिघल गए,
वो खरीदने निकले थे इश्क़ बाजार में,
हम भी बेग़ैरत बेचने निकल गए।

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29 JUL 2024 AT 20:18

घर की जिम्मेदारियां सोने नहीं देती
सब कुछ छोड़कर किसी एक का होने नहीं देती
ये झूठी मुस्कुराहट बडा दुख दे रही है
इसकी ये आदत चेन से रोने नहीं देती।

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29 JUL 2024 AT 10:28

चिराग वो मोहब्बत के अब बुझने लगे हैं,
बढते कदम उस ओर अब रुकने लगें हैं
ये जन्नत ये जहन्नुम की बातें सुनने में अच्छी है
वरना दीदार वो जन्नत के अब चुभने लगें हैं

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20 JUL 2024 AT 6:25

वो पहाड़ वो पर्वत वो नदी वो लहर
वो रात वो नींद वो सपनों का कहर
वो घर वो गाँव वो गली वो शहर,
वो दर्द वो इश्क वो तड़प वो ज़हर।

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11 JUL 2024 AT 9:47

भरे बाजार कत्ल किया उसने मेरा, मेरे दिल ने मुझे ही कसूरवार कर दिया,
सबूत गवाह सब मुकर गए, और जांचने वालो ने आत्महत्या करार कर दिया।

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1 JAN 2024 AT 11:23

पुराने जख्मों पर आज हमने नया मरहम लगाया है,
यादों की अंधेरी रात में जश्न का दीपक जलाया है,
रूठे थे पिछले कई साल हमसे
इसलिए आज हमने नया साल मनाया है ।

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13 DEC 2021 AT 21:33

मेरी बर्बादी का नजारा देख रहा है कोई,
शायद मेरे जलते दिल पर हाथ सेक रहा है कोई,
क्या इल्जाम लगाऊं मैं दूसरों पर,
यहां तो अपना ही पत्थर फेंक रहा है कोई।

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15 OCT 2021 AT 15:20

हमने तो अपने दर्द बताने शुरू ही किए थे ,
कि महफ़िल में लोग वाह वाह करने लगे।

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