इन आंखों की मस्ती के मस्ताने हजारों हैं
इन आंखों की मस्ती के परवाने हजारों हैं-
मेरा बुलाना और हर तेरा इनकार
बहुत याद आता है वो बच्चों सी अकड़
तेरा भोलापन तेरी वो अदाओं पर पकड़
सब याद आता है...
हर इरादा तेरा आँखोँ के सामने नजर आता
जाता है
सब याद आता है सब याद आता है...-
तभी तो उदास है
फिर सोचता हूँ
सभी तो उदास है
फिर मेरी क्या ओकाद है
जैसी सबकी है
जिसकी हस्ती है
उसी कि मस्ती है
मस्त रहों
तोड़ा बहुत उदास भी रहो
कास में जियो
कुछ आस में जियो
यही जीवन है
ऐसे चाहे जैसे जियो
उदास भी रहों तो
कुछ खास रहो...-
कोई तो मेरी मुझसे,
खोई आँखे लौटायेगा
देखूंगा फिर से पास में बैठी तुम्हें
मेरी धुंधली पड़ी आँखोँ में,
तुम्हें लौटायेगा-
एक टुकड़ा मुहब्बत
एक टुकड़ा प्रेम लिखता हूँ
पुराने चले रिवाज को,
आगे करता हूँ
तुम भी आगे करना
मेरा टुकड़ा मुझे वापस करना
ना हों कुछ कारण भी फिर भी
कुछ बात जरूर करना-
चाँद कि नाव से सितारे विखेरता हूँ
आसमा कि जद में, रंगबिरेंगे
खावो का समंदर पार करता हूँ
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जगाओ उनको मिलाओ
बिखरे जो जहा तहा है
तसल्ली ना दो अब वक्त कहा है
रही कही जो सुने वो
अब शक्स भी कहा है
जो सुनता तुम्हारी वो तो सो चुका
अब तो उनको खाबो में देखने वाला यहाँ है
ये रात मेरे हमारे खाब कहाँ है...
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