तुझे याद करेगा या भूल जाएगा.,
ये सवाल ज़हन से कब जाएगा.,,
साल ब साल तरसते रहे जिसको.,
कौन जाने वो मौसम कब आएगा.,,
चला गया है जो इतने क़रीब आकर.
ख़ुदा जाने वो लौटकर कब आएगा.,,
सूखी आँखों की जलन रोज पूछती है.,
नम कर दे आँखे वो आंसू कब आएगा.,,
इस कदर परेशां है तेरे बगैर इस दुनिया में.,
ना जाने वो मौत का फ़रिश्ता कब आएगा.,,-
कुछ पर्यटन,लेखन,संगीत और फोटोग्राफी से लगाव ह... read more
अक़्सर
रो देता हूँ मैं
इस धुँधली सी उम्मीद में.,
शायद इन अश्क़ों से
दरख़्त-ए-इश्क
हरा हो
जाए-
उसने
कह दिया
मुझे मेरा इश्क़
तुमसे वापस ले जाना होगा
हमने भी कह दिया, सोच लो
तुम्हें हमारी रग़ों में
घुल जाना
होगा
🖤-
उसे मेरी बातें समझ आने लगी है अब.,
कोई और मेरे क़रीब आने लगा है जब..,,
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रूह से तो पाकीज़ा रिश्ता बन्ध चुका है.,
ज़िस्म से अब क्या निभानी है.,
नही छुएंगे ज़िस्म आपका
हमे कौनसी जन्नत
मिल जानी
है.,-
बस जलता है वो आफ़ताब राख़ क्यों नहीं होता.,
ये ख़ाक से बना ज़िस्म फ़िर ख़ाक क्यों नहीं होता.,,
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वो आ कर सितमगर
सीने से जो लग गया.,
❤️❤️
इश्क़ सीने में था जो दबा.,
थोड़ा और गहरे उतर गया.,,-
कफ़स में तेरे मुल्लविस सुकूँ यूँ है कि अब खुले में दम घुटता है.,
रिहाई नामंजूर है गिरफ़्त से तेरी कि अब उड़ने से डर लगता है.,,
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कुछ अधूरी हसरतें.,
कुछ बाकी चाहतें.,
कुछ सिसकते दर्द.,
कुछ सुलगते ज़ख़्म.,
हर मुमकिन रुसवाई.,
और मुक़्क़मल तबाही.,
क्या कुछ नहीं मिला..!
इश्क़ तेरे दर से..,,
सब कुछ मिला.,
तेरे सिवाय...,-
और
कितनी
दुश्वारियाँ हमे मिले..,
उनके
क़रीब रहे
और गले ना मिले..,,
ये बेज़ा ख़ौफ़
दिल से नहीं जाता मुर्शिद
कौन जाने वो अब मिले ना मिले..,,-