बेनाम बेखबर   (बेनाम ❤️)
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Joined 2 August 2019


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जो तुमसे हुआ अब किसी से नहीं होगा.!
इश्क़ मरा नहीं पर अब ज़िंदा नहीं होगा.!!

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देखना है ये ज़ख़्म अब कब तक हरा रहेगा
ये दिल कब तक उसकी यादों से भरा रहेगा

यूँ कोई शिकवा नहीं रहा ज़िंदगी से "बेनाम"
बस तेरे ना मिलने का अफ़सोस ज़रा रहेगा

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के दम घुटता है मिरा खुली हवाओं में.,
क़रार मिलता है तिरे सीने की पनाहों में.,,

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शुरू होने से पहले भी ख़त्म होता है.,
कम्बख़्त इश्क़ बड़ा बेरहम होता है.,,

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परिन्दे ही नहीं
दरख़्त भी
शाम का
इंतज़ार
करते
हैं
है
कुछ
लोग जो
कहते नहीं
फ़िर भी बेहद
प्यार करते है.!!
❤️❤️

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बारूद में सने बैठे हैं फिर भी चराग़ जला रखे है.,
बंजर ज़मीं में भी हमने कुछ ग़ुलाब लगा रखें है.,,
❤️

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वो गोरी है उस पर हर रंग खिलता है.,
वो साँवली है पर उसका रंग खिलता है..,,

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सुनो अक़्सर वो अल्हड़ नदियाँ
समा जाना चाहती शांत समंदर में.,
❤️❤️
अपनी चंचलता,संवेग,त्याग देना
चाहती उस धीर गम्भीर समंदर में.,,

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जो हद में है वो इश्क़ नहीं.!
ग़र बेहद है तो इश्क़ सही.!!

जो बा-होश है वो इश्क़ नहीं.!
ग़र बे-होश है तो इश्क़ सही.!!

जो गुमनाम है वो इश्क़ नहीं.!
ग़र बदनाम है तो इश्क़ सही.!!

जो जीत है वो इश्क़ नहीं.!
ग़र हार है तो इश्क़ सही.!!

जो सूरत है वो इश्क़ नहीं.!
ग़र सीरत है तो इश्क़ सही.!!

जो ज़िस्मानी है वो इश्क़ नहीं.!
ग़र रूहानी है तो इश्क़ सही.!!

जो करो वो इश्क़ नहीं.!
ग़र हो जाये तो इश्क़ सही..!!

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चाँद तुम कितने मेरे हो
बस यही सोचता हूँ.,
क्या तुम भी मेरी तरह
बस आधे अधूरे हो.,,
पता मुझे तुम में
उजाला नहीं ख़ुद का.,
पर क्या तुम भी
मेरी तरह बस अंधेरे हो.,,
क्यों दिखाते शीतलता सबको
जब तुम सुलगते गहरे हो.,,
चाँद तुम कितने मेरे हो..!
🖤❤️

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