भर जाएगा मन तुमसे भी, तुम भी अच्छे नहीं लगोगे
दिल में रहके दिल तोड़ेंगे, जीने लायक नहीं रहोगे ।।-
Insta..I. devsahab
आज मन हुआ कुछ लिखूं तुम्हारे लिए...अच्छा सा ।
तभी याद आया लिखना बंद क्यों किया था मैंने ?!...
दो शब्द लिखे ही थे कि कुछ पुराना पुराना लगा मुझे,
लगा ये लिख चुका हूं किसी के लिए शायद कभी मैं ।।
तो नया कहां से लाऊं मैं भारी असमंजस में खोया था,
तभी अचानक मन में तुम्हारा नाम ,आंखो में ख्वाब आया।
और उठा के कलम लाल वाली जिसमें स्याही कम थी,
मैंने सबसे पहले कविता की "गरिमा" में तुम्हारा नाम डाला
..... और फिर मैने जो लिखा था पुराना फाड़ डाला-
तुम ढूंढ लो मुझे शायद अब भी, मैंने पता नहीं बदला अपना..
शहर भी वही है और सड़क भी वही है, जहा रोज़ होता था मिलना अपना-
क्या सितम है ये, तूने हाथ रखा जिसपे वो पत्थर हो गया
मेरा दिल भी छू लेता ,ये किसी की याद में धड़कता रह गया ।-
मेरा रंग मुझसे चुरा लिया ,तू किस तरह का चोर था,
मैं अपनी भी ना सुनता अब,तू किस तरह का शोर था ।-
किताबें पुरानी जरूर हुई थी खुशियों की मगर हम पन्ना पलटते रहे
मिलोगे एक दिन सपनों में इसी आस में हम हर घड़ी करवट बदलते रहे ।।
-
जान को जान के जान के लिए छोड़ दिया,
मेरा क्या भरोसा था , किसी अनजान के लिए छोड़ दिया-
असल में तो साहब की राहें भीड़ भरी थी,
शायद किसी दरिया ने निशान मिटा दिए ।-
बसर हो रही थी अकेले,आराम से कट रही थी ज़िन्दगी
उलझ के रहा गया इश्क़ में ,अब तनहा घट रही है ज़िन्दगी-
धरती मेरे दिल की कम पड़ गई तो मैं तुमको अपना आसमां न्योछार दूंगा,
तुम साथ चलने का वादा करो तो मैं मंज़िल को रास्ते पे वार दूंगा ।।-