राह
रोज कहीं खोए खोए से मिलते हो,
सच बताओ किसकी राह तकते हो,-
इंसान वो गलत नहीं था,
इरादा उसका गलत नहीं था,
कसूर सारा उसकी जरूरतों था,
दिल उसका इतना कठोर नहीं था,-
वो दरिंदा सरेआम इंसानियत से खेल गया,
एक मासूम को दुनिया से खफा कर गया,
जो सुना करते थे क्या कहेंगे चार लोग,
वो चार लोग तमाशबीन बन देखते रह गए,-
तलाश
हुई खुद से मुलाकात,
तो एक तलाश कम हुई,
सुकून तो खोज लिया हैं,
अब मंजिल की तलाश रहीं,-
मुलाकात
मुलाकाते तो बहुतों से हुई,
लेकिन उन मुलाकातों में,
सुकून का पता ना लगा,
जब हुई खुद से मुलाकात,
तो सुकून का पता मिलने लगा,-
यादें भी बड़ी अजीब हैं
जो याद करो , वो याद होता नहीं,
और जिसे भूलना चाहो, वो भूला जाता नहीं-
अभी मेने खुद को न जाना,
तो तुमने कैसे जान लिया,
अभी में खुद से हूं खुद अनजान,
तो तुमने अच्छे से कैसे जान लिया-
कल भी मुशाफिर था, आज भी मुशाफिर हूं,
कल भी तलाश में था, आज भी तालाश में हूं
अब फ़र्क सिर्फ़ इतना हैं,
कल अपनों की तलाश में था,आज अपनी तलाश में हूं,,,-