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रहता बेचैन मैं ऐसे मानो,
मछ्ली तड़पे मीन बिना।
तुम्हारी एक आवाज के लिए,
मैं कर दूं सबकुछ अनसुना।
मीठी सी आवाज़ तुम्हारी,
सुनकर दिल भी झूम उठे।
मन भी कहे बस सुनते रहें,
चाहे दिन उगे या शाम ढले।।
तेरी आवाज़ की खनक कुछ ऐसी,
मानो संगीत में राग मल्हार बजे।
कानों से दिल तक पहुचे तो ऐसे,
जैसे सूखे में बादल भी बरस उठे।।
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कोई नही जानता कब,
किसको मौत आ जायेगी।
आज मुझे कल उसे और
परसो कहीं और चले जाएगी।
ऐसे मुकाम पर है माहौल,
न जाने कब नाव डूब जाएगी।
अभी भी समय है मानव तू,
अब तो भज ले हरिरायी।-
माता की आराधना में, लगा दो अपना मन।
भगवती के सामने करदो,सम्पूर्ण समर्पण।।
करो अपना प्रयास,यदि हुई माता प्रसन्न।
भर देगी भगवती,खुशियों से तुम्हारा जीवन।।-
जैसे जैसे हम बड़े होते हैं,
हमारी दूरियां बढ़ जाती है।
अपने प्यार करते हैं कम,
बस धुत्कार बढ़ जाती है।।
न कोई गले लगाने वाला,
न कोई लाड़ लड़ाता है।
बस सबके काम करते है,
और जीवन का बोझ उठाते है।।
बस यही झेलते रहते है,
फिर भी हम मुस्कुराते हैं।
आखिर शिव के भक्त जो ठहरे,
विष भी हँसकर पी जाते हैं।।-
फिर वो हमारा बचपन आ जाये:-
वो स्कूलों की प्यारी यादें,
अध्यापकों की वो ज्ञान की बातें।
रिसेस से पहले लंच खा जाएं,
खाली पीरियड में धूम मचाएं।
क्लास में थोड़ी देर से जाएं,
फिर सर की डांट भी खाएं।
क्लास को रेसल ग्राउंड बनाएं,
क्रेमिस्ट्री लैब में बैंड बजाएं।
चलो हम वापस फिर मिल जाएं,
काश हमारा बचपन वापस लौट आये-
माँ की तरह दुलारती है जो,
गलतियों पर प्यार से मरती है वो।
जो पिता जैसे मार्ग समझती है,
रुलाकर मुझे वो खुद हंसाती है ।।
प्यार जो बेशुमार करती जाती है,
चोट मेरी आँखें उसकी नम हो जाती है।
रिश्तों में जो उस कमी होने न देती जो
आखिर कोई और नही मेरी बहन है वो।।
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जो दूर होकर भी,
दिल के बड़े पास है।
हर पल दिल में ,
उनकी मौजूदगी का एहसास है।।
दूरी जितनी भी हो,
फिकर लगी रहती है।
रिश्तों की मजबूती आखिर,
ऐसे ही थोड़ी बनती है।।
रहना बेफिक्र हमेशा आप,
अकेला कभी समझना नहीं।
जरूरत में मौजूद रहेंगें,
चाहे हो हम कहीं भी।।
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