Mountain Soul  
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Joined 31 October 2019


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2 JUL 2022 AT 22:50

सुनो, तुम्हारा शहर भी तुम सा है
ख्वाबीदा ख़ुशनुमा, हक़ीक़त सकूँ नहीं…

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1 JUL 2022 AT 0:12

रात ने ख़ामोशियों से कुछ बातें की है,
शम्स तुम कल कुछ देर से निकलना….

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18 JUN 2022 AT 22:50

थोड़ा सा आसमाँ आफ़रीन
थोड़ी बारिश की बूँदे क़ातिल सी…
उस पर चाँद की हल्की चमक
जैसे कुछ उलझी खवाइशें सी…

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6 JAN 2022 AT 10:17

मुँह डाप लेना तपाक से
जो सूरज की पहली किरणें छूँ लें तुम्हें...
और डलते हुए सूरज की रोशनी को थाम लेना हथेली में अपनी
और छुपा लेना उस को अपने तकिए तले
हर शाम की तरह जब उतरेगा चाँद तुम्हारे छत पर
तो बना कर उस को आइना अपना
और ज़ुल्फ़ें संवारना अपनी उस छुपाए हुए सूरज की रोशनी से..
उतर आएँगे जुगनुओं की बारात तुम्हें ताकने
और बिखेर लेगी रात की रानी अपनी ख़ुशबू तुम्हारी हर एक मुस्कुराहट पर …

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1 JAN 2022 AT 10:03

कुछ पतंगे चले नए शहर को
ख़्वाबों का आशियाना लिए
लिए कुछ रंग ख़ुशनुमा और कुछ तिनके चुने हुए
कुछ इंद्रधानुस की डोरी थामे, कुछ उड़े गुनगुनाते हुए

कुछ पतंगे चले नए शहर को…

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24 NOV 2021 AT 21:04

ये November थोड़ा ख़ुदगर्ज़ सा
थोड़ा ख़ुदगर्ज़ सा वो
बची-कुची बातें बेरंग सी
ना उनमे मैं, मैं.. ना उनमे वो, वो ….

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21 NOV 2021 AT 11:03

यूं तो नम होती होंगी निगाहें उस की कभी कभी..
पड़ के वो नज़्म, लिखे थे जो उस ख़ुशनुमा शाम के नाम………

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8 OCT 2021 AT 23:28

आसमाँ में ख़्वाबों का बसेरा हुआ
कुछ मुँदी आँखो से सवेरा हुआ
पलकों को हाथों का छूना ही हुआ था
चाँद का आसमाँ से उतरना हुआ

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6 OCT 2021 AT 0:16

वो रेशमी ऊन से पिरोह रही है फिर एक ख़ुशनुमा स्वेटर
लगता है शहर में उस के शर्दी का जल्दी आना हुआ

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30 SEP 2021 AT 23:27

ये चाँद भी कितना शांत सा है ना
बस इसी सा होना है…

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