मुँह डाप लेना तपाक से जो सूरज की पहली किरणें छूँ लें तुम्हें... और डलते हुए सूरज की रोशनी को थाम लेना हथेली में अपनी और छुपा लेना उस को अपने तकिए तले हर शाम की तरह जब उतरेगा चाँद तुम्हारे छत पर तो बना कर उस को आइना अपना और ज़ुल्फ़ें संवारना अपनी उस छुपाए हुए सूरज की रोशनी से.. उतर आएँगे जुगनुओं की बारात तुम्हें ताकने और बिखेर लेगी रात की रानी अपनी ख़ुशबू तुम्हारी हर एक मुस्कुराहट पर …